1 June 2020

WISDOM ---- हम ईश्वर की संतान हैं , अपना मूल्य समझें

    आज  की  समस्त  समस्याएं  इसलिए  हैं  क्योंकि  हम  अपनी  कृषि , अपनी  चिकित्सा ,  अपनी  कला , अपनी  संस्कृति , अपनी  भाषा   और  अपनी  क्षमता  को   महत्व  न  देकर    पराई  चीजों  को  महत्व  देते  हैं  l   इसलिए  हम  बीच  में  फँसे   हैं ,  न  घर  के  रहे ,  न  घाट   के  l
अभी  भी  वक्त  है  ,  यदि  हम  संभल  जाएँ ,  जागरूक  हो  जाएँ ,  हमारा  स्वाभिमान   जाग    जाये  ,  तो  फिर  हमारा  मुकाबला  कोई  नहीं  कर  सकता  l   यदि  हम  केवल  चिकित्सा  के  बारे  में  बात  करें  ---- तो  हम  कितने  भाग्यवान  हैं  कि   हमारे  पास  अपनी  वैकल्पिक  चिकित्सा  है  l   यद्द्पि  एलोपैथी  का  बोलबाला  है  , लेकिन  यदि  ये  अंग्रेजी  दवाइयाँ   हमें  रिएक्शन  करती  हैं  तो  हम  घरेलू    चिकित्सा , आयुर्वेदिक  , होम्योपैथी , प्राकृतिक , सूर्य चिकित्सा   आदि    हमारे  प्राचीन  साहित्य  में  चिकित्सा   के  विशेषज्ञों  से  चिकित्सा  करा  के  स्वस्थ  हो  सकते  हैं  l
 आज  उन  लोगों  की  और  उन  देशों  की  स्थिति   बहुत   दयनीय  है   जो  पूरी  तरह  एलोपैथी  पर  निर्भर  है  l  यह  पद्धति   भी  अच्छी  है  लेकिन  इसकी  अपनी  सीमायें  हैं  जैसे --- एक  व्यक्ति  को  पेट दर्द  हुआ   तो  एक  गोली  खाई ,  फिर  ब्लड प्रेशर  है , डाइबिटीज है  तो  उसकी  दवाई  खाई ,  फिर  हाथ - पैरों  में  दर्द  है  तो  उसकी  एक  गोली ,  तनाव  है  सिर   दर्द  है  तो  उसकी  एक  गोली  ------ शरीर  चलता - फिरता  मेडिकल स्टोर  बन  जाता  है  l   फिर  विभिन्न  दवाइयों  के  साइड इफेक्ट  l   बीमारियाँ   पीछा  नहीं  छोड़तीं  l
    लेकिन  यदि  हम  अपनी  संस्कृति , अपना  मूल्य  समझेंगे  तो  बीमारी  हमसे   दूर  भागेगी  l
जैसे  --- सुबह  जल्दी  उठे , सूर्य  देवता  के  दर्शन  किये , गायत्री मन्त्र  जपा ,  प्राणायाम  किया   तो  आधी  बीमारी  तो  वैसे  ही  चली  गई  l  और  शेष  का  इलाज  हमारी  रसोई  में  और  प्रकृति  में , आयुर्वेद  में  मिल  जाता  है   जैसे --- पेट  दर्द  है  तो  हींग , अजवाइन  खा  ली ,  गुनगुने  पानी  से  एक  चम्मच  हल्दी  फाँक   ली l , लहसुन  ,   नीम  की  पत्ती , जामुन  की  पत्ती ,  अर्जुन  की  छाल,  आंवला   ----- आदि   का  सेवन या  इनसे  बनी   औषधि   का  सेवन  करने   से  ही  व्यक्ति  स्वस्थ  हो  सकता  है  l   खरचा   भी  कम , बजट  संतुलित    और  कोई  रिएक्शन  भी  नहीं   l     जब  लोगों  पर  दुर्बुद्धि  का  प्रकोप  होता  है   तो  बीमारी  भी 
स्टेट्स   सिंबल   बन  जाती  है  ,  व्यक्ति  उसमें   अंधाधुंध  पैसा  खर्च  कर  के  ,  और  फिर  से  एक  नई  बीमारी  लेकर  भी  गर्व  महसूस  करता  है  l   इसलिए  हम  ईश्वर  से  सद्बुद्धि  के  लिए  प्रार्थना  करें ,  जिससे  हमारे  जीवन  को  सही  दिशा  मिले   l