शक्ति का सदुपयोग वही कर सकता है जिसके हृदय में संवेदना होगी l शरीर बल हो , धन - बल अथवा सत्ता का बल हो --- यदि मन में स्वार्थ , लालच व अहंकार है तो शक्ति के सदुपयोग की कोई संभावना ही नहीं है l रावण बहुत शक्तिशाली था लेकिन ज्ञानी होते हुए भी वह बहुत अहंकारी था , उसने अपनी शक्ति का दुरूपयोग किया , बहुत अत्याचारी था l इसी तरह दुर्योधन बहुत अहंकारी था l उसके पास इतना बड़ा साम्राज्य था , यदि श्रीकृष्ण की बात मानकर पांच गांव दे देता तो उसे कोई नुकसान नहीं होता लेकिन अहंकारी किसी को सुख - चैन से देख नहीं सकता l परिणाम --महाभारत हुआ l आज हम वैज्ञानिक युग में जी रहे हैं l विज्ञान में असीमित शक्ति है l इस शक्ति के साथ यदि संवेदना नहीं है तो यह मनुष्य जाति का विध्वंस भी कर सकती है l
17 January 2021
WISDOM -----
श्रीमद् भगवद्गीता में भगवान कहते हैं --- दुराचारी के लिए भी उनकी दृष्टि बड़ी सहानुभूतिपूर्ण है l भगवान दुराचारी के तो हो सकते हैं , पर कपटी के कभी नहीं हो सकते l ' मोहि कपट छल छिद्र न भावा l निर्मल मन जन सो मोहि पावा ll श्रीकृष्ण ने कुब्जा का कूबड़ ठीक कर दिया , अनन्य भाव से श्रीकृष्ण उसके हृदय में बसते थे l पर कपट लेकर आई रावण की बहन सूर्पणखा जो कहती थी --- '" तुम सम पुरुष न मो सम नारी " उसे अपनी नाक कटवा कर जाना पड़ा l भगवान कभी छल -कपट पसंद नहीं करते हैं l
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