15 January 2021

WISDOM ------

  विश्व विजय   का  स्वप्न  देखने  वाले  सिकंदर  को   मृत्यु  के  समय  जीवन  की   एक - एक  स्मृति   मस्तकपटल   पर  आने  लगी  l   उसे  उन  दो  लड़कियों  की   स्मृति  आ  गई  ,  जिनने  उसे  नैतिक  दृष्टि  से  पराजित  कर  दिया  था   l   भारत  के  उत्तर - पश्चिम  प्रान्त  के   एक  गाँव  के  पास   उसकी  सेनाओं  ने  डेरा  डाला  था  l   गाँव  में  उत्सव  था  l   ग्रामीण  युवक - युवतियों  के  मोहक  नृत्य   को  देखकर  सिकंदर  अपनी  सुध -बुध   खो  बैठा  l   उसने  वहीँ  भोजन  मँगा   लिया  l   दो  सुन्दर  ग्रामीण  युवतियां    एक  थाली  को   कीमती  चादर  से  ढक   कर  लाईं  l   चादर  हटाते   ही  सिकंदर   क्रुद्ध  हो  उठा  l  उस  थाली  में  सोने - चांदी   के  आभूषण  थे   l    युवतियों  ने  कहा --- " नाराज  न  हों  सम्राट  !   हमने  सुना  है  आप  इसी  के  लिए  भूखें   हैं l   इसी  के  लिए  आप  हजारों - लाखों  को  मारकर  इतनी  दूर  से    हमारे  बीच  आए   हैं   l   हमें  हमारी  जान  की  चिंता  नहीं  है  l   आप  यह  भोजन  स्वीकार  करें   एवं   हमारा  सिर   काट  लें   l  "  कहते  हैं  इसके  बाद  सिकंदर  विक्षिप्त  हो  उठा   और  वापस  लौट  गया  l 

WISDOM ----

  संकल्पवान  व्यक्ति  एक  दीपक  की   तरह छोटा  ही  क्यों  न   हो ,  देर - सवेर   भगवान  किसी  न  किसी  रूप  में   उसे  सहारा  देने  पहुँच  ही  जाते  हैं  l ------- यज्ञ  होना  था   l   उसके  लिए  समिधाओं  का  ढेर  लगा  था   l   ऋषि  ने  डीप  प्रज्वलन  का  क्रम  किया   l   दीपक  को  टिमटिमाता  देख    समिधाओं  का  ढेर  हँसा  और  बोला ---- " ये  छोटा  सा  दीपक  भला  हमारा  क्या  बिगाड़ेगा  ? "    अग्नि  स्थापना  का  क्रम  आया   तो  दीपक  से  निकली   छोटी  सी  लौ   ने   यज्ञ-अग्नि   की स्थापना  कर  दी  l   आहुतियों  के  साथ  एक - एक  कर   सभी  समिधाएं   होम   हो गईं   l   सारी   घटना  को   अंतर्दृष्टि    से देखते  हुए   ऋषि  अपने  शिष्यों  से  बोले  ---- " प्रखरता  चाहे  एक  लौ   के  बराबर   ही  क्यों  न  हो  ,  वो  अकेले  तमस   के  साम्राज्य  से  टकराने  में   सक्षम  है  l   हमें  भी  अपनी  तपस्या  का  प्रकाश  इतना  प्रबल   और  उज्ज्वल   करना  चाहिए   कि   हम  गहन  अंधकार  के  बीच  भी    अपना  मार्ग  बना  सकें   l