विश्व विजय का स्वप्न देखने वाले सिकंदर को मृत्यु के समय जीवन की एक - एक स्मृति मस्तकपटल पर आने लगी l उसे उन दो लड़कियों की स्मृति आ गई , जिनने उसे नैतिक दृष्टि से पराजित कर दिया था l भारत के उत्तर - पश्चिम प्रान्त के एक गाँव के पास उसकी सेनाओं ने डेरा डाला था l गाँव में उत्सव था l ग्रामीण युवक - युवतियों के मोहक नृत्य को देखकर सिकंदर अपनी सुध -बुध खो बैठा l उसने वहीँ भोजन मँगा लिया l दो सुन्दर ग्रामीण युवतियां एक थाली को कीमती चादर से ढक कर लाईं l चादर हटाते ही सिकंदर क्रुद्ध हो उठा l उस थाली में सोने - चांदी के आभूषण थे l युवतियों ने कहा --- " नाराज न हों सम्राट ! हमने सुना है आप इसी के लिए भूखें हैं l इसी के लिए आप हजारों - लाखों को मारकर इतनी दूर से हमारे बीच आए हैं l हमें हमारी जान की चिंता नहीं है l आप यह भोजन स्वीकार करें एवं हमारा सिर काट लें l " कहते हैं इसके बाद सिकंदर विक्षिप्त हो उठा और वापस लौट गया l
15 January 2021
WISDOM ----
संकल्पवान व्यक्ति एक दीपक की तरह छोटा ही क्यों न हो , देर - सवेर भगवान किसी न किसी रूप में उसे सहारा देने पहुँच ही जाते हैं l ------- यज्ञ होना था l उसके लिए समिधाओं का ढेर लगा था l ऋषि ने डीप प्रज्वलन का क्रम किया l दीपक को टिमटिमाता देख समिधाओं का ढेर हँसा और बोला ---- " ये छोटा सा दीपक भला हमारा क्या बिगाड़ेगा ? " अग्नि स्थापना का क्रम आया तो दीपक से निकली छोटी सी लौ ने यज्ञ-अग्नि की स्थापना कर दी l आहुतियों के साथ एक - एक कर सभी समिधाएं होम हो गईं l सारी घटना को अंतर्दृष्टि से देखते हुए ऋषि अपने शिष्यों से बोले ---- " प्रखरता चाहे एक लौ के बराबर ही क्यों न हो , वो अकेले तमस के साम्राज्य से टकराने में सक्षम है l हमें भी अपनी तपस्या का प्रकाश इतना प्रबल और उज्ज्वल करना चाहिए कि हम गहन अंधकार के बीच भी अपना मार्ग बना सकें l