7 June 2020

WISDOM ------ निर्भय होकर जिएं

  आज  संसार  में  अधिकांश  समस्याएं   और  आपा - धापी  इसलिए  है  कि   हर  व्यक्ति  भयभीत  है ,  चारों  और  ' भय  का  कारोबार  है  '  l   यह  कारोबार  एक  दिन  में  नहीं  हुआ  है   l   मानवीय  कमजोरियों  से  फायदा  उठाने  के  लिए  आसुरी  प्रवृतियां   योजनाबद्ध  तरीके  से  यह  कारोबार  करती  हैं  l   बच्चों  के  कई  खेल - खिलौने   ऐसे  बनते  हैं  कि   छोटे - छोटे  दूध  पीते   बच्चे  उन  खिलौने   से  भयभीत  हो  जाते  हैं  l   इससे  उनके  कोमल  मन  पर  दुष्प्रभाव  पड़ता  है  ,  उनका  मन  कमजोर  हो  जाता  है  l   जो  माताएं  इस  सत्य  को  जानती  हैं , वे  गर्भावस्था  में  ही   अत्याधिक   शोर , भयभीत  करने  वाली  फिल्म  आदि  नकारात्मक  चीजों  से  दूर  रहती   हैं  l  भयभीत  करने  वाली  फ़िल्में , सीरियल  ,  खेल  आदि  को  लोग  बहुत  देखते  हैं  l   इन  सबसे  क्षणिक  मनोरंजन  होता  है   लेकिन   ये  भी  मन  को  कमजोर  कर  देती  हैं  l
   वैसे   ही   तो व्यक्ति  के  जीवन  में  अनेक  भय  हैं --- सौंदर्य  है  तो  बुढ़ापे  का  भय , धन  है  तो  उसके  चोरी  का   भय ,  सत्ता    है  तो  उसके  खोने  का  भय   l   इस  भय  से  मुक्ति  पाने  के  लिए  व्यक्ति    सौंदर्य  सामग्री ,  धन  की  सुरक्षा ,   सत्ता  को  बनाये  रखने  के  लिए  हजारों - करोड़ों  रूपये  खर्च  कर  देता  है  l   इन  सबसे  ऊपर  है --- मृत्यु  का  भय  l   हर  व्यक्ति  जीना  चाहता  है  ,  संसार  का  आकर्षण  ही  कुछ  ऐसा  है  l    अपनी  जिंदगी  पर  थोड़ा  सा  भी  खतरा   व्यक्ति    को    बेचैन  कर  देता  है  ,  इसी  का  फायदा  व्यवसायी  उठाते  हैं  l   गीता  में  कहा  गया  है --- निर्भय  होकर  जिओ  l  लेकिन  जब  बचपन  से  ही  डराने   वाली  सामग्री  से  मन  कमजोर  हो  जाये   तो  क्या  करें  ?  हर  समस्या   से   जागरूक   रहकर  ही   निपटा  जा  सकता  है  l 

WISDOM ------

  जब  बाबर  ने  अमीनाबाद  को  जीतकर  अपने  राज्य  में  मिला  लिया    तो  गुरु  नानक  और  उनके  शिष्य  मरदाना  को  भी  जेल  की  हवा  खानी   पड़ी  l   जब  बाबर  को  अपने  अधिकारियों   से  गुरु  नानक  की   आध्यात्मिक  शक्ति  का  पता  चला  तो  वह  उनसे   जेल  में  मिलने  गया  l
नानक  ने  बादशाह  को  देखकर  कहा --- " मनुष्य  का  धर्म  तो  लोगों  की  सेवा  करना  है  ,  और  आप  अपने  राज्य  की  प्रजा  पर  शासन  कर  रहे  हैं  l "  बाबर     ने  अपनी  भूल  स्वीकार  करते  हुए  कहा  --- " बाबा  ! यदि  आप  कुछ  मांगना  चाहते  हों  तो   नि:संकोच  मांग  लीजिए  l "
 गुरु  नानक  ने  कहा --- " राजा  से  तो  मूर्ख   मनुष्य  ही  मांगते  हैं  l  मुझे  यदि  किसी  वस्तु   की  आवश्यकता  भी  होगी   तो  ईश्वर  से  मांगूंगा  l   आपसे  मांगने  का  लाभ  भी  क्या  है  ?  देने  वाला  तो  दाता   एक  राम  है  ,  जो  मनुष्यों  को  तो  क्या  राजाओं    तक  को  देता  है  l "
 इतना  सुनकर  बाबर  ने  कहा --- " तो  आप  ही  मुझे  कुछ  प्रदान  कीजिए  l  "
 नानक  ने  एक  उपदेश  दिया ---- " बाबर  ! इस  संसार  में  किसी  भी  वस्तु  का  स्थायित्व  नहीं  है   l  ध्यान  रखो  !  आपका  या  आपके  पुत्रों  का  शासन  तब  तक  चलेगा   जब  तक  उसका  आधार   प्रेम  और  न्याय  बना  रहेगा  l  "  इस  उपदेश  से  बाबर  के  जीवन  की  दिशा  बदल  गई  l