1 March 2022

WISDOM ------

    आज  संसार  में  अशांति  है , कोहराम  मचा  है  ,  इसके  कारण  देखें  तो  अनेक  हैं    लेकिन  हमें   समस्या  पर  नहीं ,  समाधान  पर  अपना  ध्यान  केंद्रित  करना  होगा   l  पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य  जी ने  कहा  है  --- " सभी  समस्याओं  का  एकमात्र  हल  है ----- संवेदना  l  जिसके  हृदय  में  संवेदना  है , वह  कभी  किसी   को  कष्ट  देने   की  बात  सोच  भी  नहीं  सकता   l "  आज  संवेदना  का  ही  अभाव  है   इसलिए  युद्ध , तबाही   जैसी  दिल  दहला  देने  वाली  घटनाएं  हो  रही  हैं   l   इन  सबके  मूल  में  एक  कारण  है  कि   संसार  में  धन - वैभव   के  आधार  पर  ही  व्यक्ति   और  राष्ट्र  को  श्रेष्ठ  माना  जाता  है  ,  नैतिक  मूल्यों का , मानवता  का  कहीं  कोई  स्थान  नहीं  है  l   इस  कारण  जीवन  का  हर  क्षेत्र   अंधकार  और  तनाव  से  भर  गया  है  l   हर   व्यक्ति धन  कमाने  की  अंधी  दौड़  में  भाग  रहा  है  ,  उसका  तरीका  चाहे  जो  भी  हो  l   कहते  हैं    हमारे  विचारों  में  बहुत  शक्ति  है  ,  जैसे  हम  विचार  करते  हैं  , वैसे  ही   तत्वों को   हम  आकाश  से  आमंत्रित  करते  हैं   l   जब  लोभ , लालच , स्वार्थ , उचित - अनुचित   हर  तरीके  से    अधिक  से  अधिक   धन कमाने  की  लालसा  के  विचार   जब   पूरे   संसार  में  होंगे    तो  उसका  दुष्परिणाम  क्या  होगा   ? इसे  इस  ढंग  से   समझ     सकते  हैं  ------ दवा , वैक्सीन  आदि   बनाने  वाली  कंपनियों  को  लाभ  तभी  होगा  ,   जब वे  दवाइयाँ   बिकेंगी ,  और  दवाइयाँ   तभी  बिकेंगी  जब  लोग  बीमार  होंगे   l  निरंतर  ऐसे  चिंतन  से  कि   अधिक  से  अधिक  लाभ  हो  ,  आकाश   से  वैसे  ही  आसुरी  तत्व   आकर्षित  होते  हैं  , उनकी  मदद  करते  हैं  ,  इसका  परिणाम  होता  है   संसार  एक  से  बढ़कर  एक  बीमारियों  के    चंगुल  में  फँस   जाता  है  l   इसी  तरह    हथियार ,  युद्ध  सामग्री   देश  की  सुरक्षा ,   के  लिए  जरुरी  है    लेकिन  जब  इससे   अधिकाधिक    लाभ  कमाने  का ,  लालच   का  भाव  मन  में  आ  जायेगा   तो   यह  तभी  संभव  है   जब   इनका  अधिकाधिक  इस्तेमाल  हो , उनकी   बाजार  में  मांग  बढे  ---- युद्ध , दंगे  इसी  का  परिणाम  है  l   धन  जीवन  के  लिए  जरुरी   लेकिन   अरबपति --- और --- खरबपति ---- और ---- बनने  की  दौड़  ही   संसार  में  अशांति  उत्पन्न  करती  है   l   अति  का  लालच  ,  लोक कल्याण  की  भावना  को  मिटा  देता  है   l   विचारों  का  परिष्कार  जरुरी   है  l 

WISDOM ----

   कभीी  ऐसा  वक्त  आता  है  कि   स्वयं  को   विकसित , सभ्य  और  आधुनिक  कहने  वाले   व्यक्ति  हों  या   राष्ट्र  हों  ,  उनकी  असलियत , उनका  असली  चेहरा  संसार  के  सामने  आ  जाता  है  l    जो  मुखौटा  लगाकर  वे  अपने  को  सर्वश्रेष्ठ     बताते  थे ,  उन्ही  की  गलतियों  के  कारण  उनका  यह  मुखौटा  खिसक  गया   और  उनका  असली  चेहरा  सामने  आ  गया  l   अब  विद्वानों   और  अर्थशास्त्रियों  के  सामने   एक  नई   समस्या  खड़ी  हो  गई  ,  विकसित  देशों  को  कैसे  परिभाषित  करें  ?     जिन  देशों  की  प्रतिव्यक्ति  आय , राष्ट्रीय   आय  अधिक  है   और  वे  दूसरे  देश  पर  आक्रमण  करते  हैं , लोगों  का  सुख - चैन  छीनते   हैं  ,  निर्दोष  बच्चों  को  भी  नहीं  छोड़ते ,     पर्यावरण  प्रदूषित  करते  हैं   ,    यदि  यही  सभ्यता  का  पैमाना  है ,  विकास  की  परिभाषा  है   तो  ये  विकास  उन्हीं  को  मुबारक  !   हम  जैसे  हैं  ,  बहुत  अच्छे  हैं  l