12 July 2020

WISDOM ------ पुरानी आदतें जाती नहीं

व्यक्ति  कोई  भी  काम  चाहे  अच्छा  हो  या  बुरा  एक  लम्बे  समय  तक  करता  है  तो  वह  उसकी  आदत  बन  जाती  है   और  यह  आदत  ही  उसकी  पहचान  बन  जाती  है   l   एक  कथा  है  ---- एक  सेठ  था  , उसका  व्यापार       दूर - दूर  तक  फैला  था   l    गाँव  के  लोग  उससे  बहुत  धन  उधार  लेते  थे  , इस  वजह  से  वह  उन  पर  दबाव  बनाकर  रखता  था   और  सीधे - सादे  ग्रामीणों  पर  अत्याचार  भी  बहुत  करता  था  l   गाँव  के  लोग  बहुत  दुःखी   थे  l  जब  आपस  में  बात  करते  तो  उसके  लिए ' कसाई ' शब्द  का  इस्तेमाल  करते  l   उनका  वार्तालाप  सुनकर  बच्चे  भी  उसे ' कसाई ' कहने  लगे   l  सब  उससे  डरते  भी  थे  l   एक  दिन   जब  वह   गांव  में  भ्रमण  के  लिए  निकला   तो   छोटे - छोटे   बच्चे  उसे  देखकर  चिल्लाकर  भागे  कि  'कसाई ' आ  गया  l   सेठ  ने  बच्चों  से  तो  कुछ  कहा  नहीं  , लेकिन  उसे  बहुत  बुरा  लगा  l
  वह  अपने  आपको  अच्छा  सिद्ध  करना  चाहता  था  l   उसने  अन्य  गांवों  के  अमीरों  के  साथ  मिलकर  एक  संस्था  बना  ली   और  सब  गांवों  में  यह  बात  लोगों  को  समझा  दी  कि   अब  वह  संस्था   सब  गांवों  की  समस्या  हल  करेगी  ,  जरुरत  पड़ने  पर  धन  भी  उधार   देगी  l
अब  उस  सेठ  ने  अपने  गांव  में  स्कूल , अस्पताल  खुलवा  दिए  ,  पानी   आदि  की  व्यवस्था  करा  दी  l   अब  गांव  में  उसकी  तारीफ  होने  लगी  , सब  उसे  सम्मान  देने  लगे  l   पुरानी   बातें  भूल  गए  l   लेकिन  गांव  में  अत्याचार , अपराध  बहुत  बढ़  गए  , जनता    त्रस्त   थी  l   उस  गांव  का  एक  युवक    शहर  से  अध्ययन  समाप्त  कर  लौटा    तो  उसने  देखा  कि   गांव  में  बहुत  सन्नाटा  है , लोग  भयभीत  हैं  l  उसने  अन्य  युवकों  के  साथ  मिलकर  सब  पता  किया  तो  समझ  में  आया  कि   संस्था   का  तो  केवल  नाम  है  ,     उसी  सेठ  की  मनमानी  चलती  है   और  संस्था  की  आड़  में  वह  और  अत्याचार  करता  है  l   अब  गांव  वालों  को  समझ  में  आया  कि    अच्छे  होने  का  दिखावा  करने  से  कोई  अच्छा  नहीं  होता  ,  बुरी  आदत  छूटती   नहीं  ,  मौका  मिलने  पर  और  बढ़  जाती  है  l   अब  सब  गांवों  के  लोग  उसके  विरुद्ध  संगठित  हो  गए  ,  तब  उन्हें  उसके  जाल  से  मुक्ति  मिली  l 

WISDOM -----

  मनुष्य  स्वयं   जाने - अनजाने  में   अपने  को  मारने  का  प्रयास  कर  रहा  है  l   कुछ  समय  पूर्व  बीमारियाँ   गंदगी  और  कुपोषण  की  वजह  से  होती  थीं  l   हैजा  आदि  से  कई  गाँव , शहर  समाप्त  हो  जाते  थे  l   आज  संसार  में  जो  भी  समस्या  है   उसके  मूल  में  कारण  विज्ञान   है  l कहते  हैं  ज्योतिषी  किसी  का  भाग्य  देखते  हैं  ,   यदि  कुछ  अशुभ  होता  है  , तो  वे  उसे  बताते  नहीं ,  अपने  मन  में  रखते  हैं  l
 यही  बात  वैज्ञानिक  आविष्कारों  पर  लागू  हो  तो   मनुष्य  सुख - शांति  से  जी  सकता  है  l
  वैज्ञानिक  अच्छी  तरह  जानते  हैं  कि  कौन  सी  तकनीक    वायुमंडल  को  प्रदूषित  कर  देगी  ,  उससे  निकलने  वाली  अदृश्य  रेडिएशन   मनुष्यों  के  अस्तित्व  के  लिए  खतरनाक  हैं  l   कौनसे  खाद , बीज , कीटनाशक  जमीन   को  बंजर  कर  देंगे ,   परमाणु - शक्ति   पशु - पक्षी , वनस्पति , मानव  सभी  के  लिए  हानिकारक  हैं  ,  तो  ज्योतिषियों  की  भांति  यह  ज्ञान  उन्हें  अपने  हृदय  में  ही  रखना  चाहिए  l   इस  संसार  में  भांति - भांति  के  लोग  हैं  l   कुछ  लोग  बहुत  महत्वकांक्षी  होते  हैं  ,  वे  वैज्ञानिकों  के  इस  ज्ञान  को  खरीद कर  , उसका  उपयोग  अपनी  महत्वाकांक्षा  की  पूर्ति  के  लिए  करते  हैं   l
 पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  ने  लिखा  है  ---- ' महत्वाकांक्षा  विकृत  होकर  घृणित   रूप  ले  लेती  है  l '
     इस  संसार  में  प्रत्येक  व्यक्ति  चाहे  अमीर   हो  या  गरीब , बीमार  हो  या  स्वस्थ , वृद्ध  हो  या  युवा  ,  किसी  भी  जाति , किसी  भी  धर्म  का  हो  सब  जीना  चाहते  हैं   और  सभी   अपने  हिसाब  से  अपने  जीवन  की  रक्षा  करते  हैं  l   पशु - पक्षी  भी  अपनी  रक्षा  करना  जानते  हैं  ,  उन्हें  किसी  के  आदेश  की  ,  किसी  से  कुछ  सीखने  की  आवश्यकता  नहीं  होती   l
 अध्यात्म  में  कोई  रूचि  और  विश्वास  न  होने  के  कारण   ऐसे    महत्वाकांक्षी     व्यक्ति  अपनी  शक्ति , धन  और  बुद्धि  का  उपयोग    लोगों  पर  अपनी  हुकूमत  कायम  करने  के  लिए  करते  हैं  l   ईश्वरीय  सत्ता  को  नकार  कर  प्रकृति  को  भी  अपने  ढंग  से  चलाना   चाहते  हैं  l   इसी  का  दुष्परिणाम  हम  संसार  में  विभिन्न  आपदाओं  के  रूप  में  देखते  हैं   l   जब    तक  बुद्धिजीवी   , विचारशील  वर्ग    आधुनिक  तकनीकी   के  दुष्परिणामों  के  प्रति  जागरूक  नहीं  होगा   , संसार  इसी  तरह  अपनी  मृत्यु ,  आत्महत्या ,  पागलपन ,  तनाव  और  घातक  बीमारियों  के  साधन   जुटाता  रहेगा  l