30 December 2022

WISDOM ----

    पं . श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं --- ' मानव जीवन  काल  और  कर्म  का  संयोग  है  l  हम  सब  को  जो  जीवन  मिला  है  , वह  काल  का  सुनिश्चित  खंड  है  l  इसी  काल  खंड  में  हमें   कर्म  करने  हैं  और  भोगने  हैं  l  काल  का  जो   वर्तमान  खंड  है  उसमें  हम  कर्म  करने  के  लिए  स्वतंत्र  हैं  l  इस  अवधि  में  हम  जो  भी  कर्म  करते  हैं   उनका  प्रभाव  केवल  वर्तमान काल  तक  ही  सीमित  नहीं  रहता  ,  वे  हमारे  भूतकाल  और  भविष्य  को  भी  प्रभावित  करते  हैं l  यदि  भूतकाल  में  हमसे  कुछ  गलतियाँ  हो  गईं , कुछ  अपराध  हो  गए   तो  वर्तमान  के  शुभ  कर्मों  से  उनका  प्रायश्चित   और  परिमार्जन  किया  जा  सकता  है  l  और  हमारे  वर्तमान  के  ये  शुभ  कर्म  हमारे  उज्ज्वल  भविष्य  का  निर्माण  करने  में  भी  समर्थ  हैं   l  '  आचार्य श्री  आगे  लिखते  हैं ---- जो  जीवन  के  इस  सच  से  सुपरिचित  हैं  ,  वे  जीवन  के  प्रत्येक  क्षण  का  सदुपयोग  करते  हैं  और  शुभ  कर्मों  के  संपादन  में  संलग्न  रहते  हैं   लेकिन  जो  अशुभ  कर्मों  की  डगर  पर  चल  पड़ता  है  ,  उसके  लिए  आदिशक्ति  के  महाकाली   स्वरुप  में  विनाश  प्रकट  हो  जाता  है  l  "    दुर्योधन  आदि  कौरवों  ने  सारा  जीवन  छल , कपट , षड्यंत्र  किया ,  वे  फरेबी , झूठे  व  अहंकारी  थे  l  उनके  जीवन  का  उदेश्य  अपने  को  स्थापित  करना  और  दूसरों  को  परेशान  करना  था  l  वे  घोर  अधर्मी  थे  इसलिए  महाभारत  के  युद्ध  में   महा पराक्रमी  भीष्म , द्रोणाचार्य  और  कर्ण   जैसे  महारथी  भी  दुर्योधन  को  विनाश  की  नियति  से  उबार  नहीं  सके  , कौरव  वंश  का  अंत  हो  गया  l  इसलिए  हमें  इस  सत्य  को  स्वीकार  करना  चाहिए  कि  हमारे  मन  के  तार  ईश्वर  से  जुड़े  हैं ,  हमारे  हर  कर्म  पर  उनकी  नजर  है  l  ईश्वर  केवल  हमारे  कर्मों  को  ही  नहीं  जानते  बल्कि  हमारे  मन  में  क्या  चल  रहा  है , हमारी  भावना  क्या  है  , हम  क्या  सोच  रहे  हैं  , इन  सब  की  हर  पल  की  खबर  ईश्वर  को  है  l