भय अज्ञान से उत्पन्न होता है l विभिन्न प्रकार के मनोरोग भय के कारण ही जन्म लेते हैं और जीवन नारकीय यंत्रणा से भर जाता है l इससे व्यक्ति का मानसिक , चारित्रिक और आत्मिक पतन होता है और व्यक्ति का खुशहाल जीवन दम तोड़ देता है l
वर्तमान विश्व में जिस एक वस्तु का व्यापार सबसे अधिक हो रहा है , वह एक प्रकार का भय ही है l पश्चिमी समाज भय खरीदने और बेचने वालों की मंडी में तब्दील हो गया है l जो जितना भय पैदा करता है , वह उतना ही सफल सिद्ध हो रहा है l जो फ़िल्में जितना भय उत्पन्न कर सकेंगी वे उतनी ही सफल हैं , उनका कारोबार भी करोड़ों डॉलर में होता है l वे कॉमिक्स जो बच्चों में भय पैदा करते हैं वे सर्वाधिक बिकते हैं l विश्व प्रसिद्ध चिंतक नोम चोमस्की ने कहा था था कि भय व्यापार की छठी इंद्रिय है l
भय मानवीय मनो - मस्तिष्क को ंप्रभावित करने वाला सबसे बड़ा कारण है l व्यक्ति ही नहीं समाज एवं राष्ट्र भी भयग्रस्त हो जाते हैं l आज सारा संसार आतंकवाद और जैविक युद्ध के विनाश से भयभीत है l कभी भय वास्तविक होता है और कभी आसुरी शक्तियां अपने विशिष्ट उद्देश्यों की पूर्ति के लिए भय का वातावरण निर्मित कर देती हैं l
भय की आशंका समस्त विपत्तियों का कारण है , भय दासता है , इससे प्रगति अवरुद्ध हो जाती
है l भय का आधार ही स्वयं पर अविश्वास है l जब तक स्वयं पर विश्वास नहीं होगा , विकास कैसे संभव होगा l ईश्वर विश्वास से ही सभी प्रकार के भय से मुक्ति संभव है l साहस और निर्भयता ही सफलता का रहस्य है l
वर्तमान विश्व में जिस एक वस्तु का व्यापार सबसे अधिक हो रहा है , वह एक प्रकार का भय ही है l पश्चिमी समाज भय खरीदने और बेचने वालों की मंडी में तब्दील हो गया है l जो जितना भय पैदा करता है , वह उतना ही सफल सिद्ध हो रहा है l जो फ़िल्में जितना भय उत्पन्न कर सकेंगी वे उतनी ही सफल हैं , उनका कारोबार भी करोड़ों डॉलर में होता है l वे कॉमिक्स जो बच्चों में भय पैदा करते हैं वे सर्वाधिक बिकते हैं l विश्व प्रसिद्ध चिंतक नोम चोमस्की ने कहा था था कि भय व्यापार की छठी इंद्रिय है l
भय मानवीय मनो - मस्तिष्क को ंप्रभावित करने वाला सबसे बड़ा कारण है l व्यक्ति ही नहीं समाज एवं राष्ट्र भी भयग्रस्त हो जाते हैं l आज सारा संसार आतंकवाद और जैविक युद्ध के विनाश से भयभीत है l कभी भय वास्तविक होता है और कभी आसुरी शक्तियां अपने विशिष्ट उद्देश्यों की पूर्ति के लिए भय का वातावरण निर्मित कर देती हैं l
भय की आशंका समस्त विपत्तियों का कारण है , भय दासता है , इससे प्रगति अवरुद्ध हो जाती
है l भय का आधार ही स्वयं पर अविश्वास है l जब तक स्वयं पर विश्वास नहीं होगा , विकास कैसे संभव होगा l ईश्वर विश्वास से ही सभी प्रकार के भय से मुक्ति संभव है l साहस और निर्भयता ही सफलता का रहस्य है l