27 May 2020

WISDOM ------ भय जीवन का महाशत्रु और सबसे बुरी बीमारी है l

  भय  अज्ञान  से  उत्पन्न  होता  है  l   विभिन्न  प्रकार  के  मनोरोग   भय  के  कारण  ही  जन्म  लेते  हैं   और  जीवन  नारकीय  यंत्रणा  से  भर  जाता  है  l   इससे  व्यक्ति  का  मानसिक ,  चारित्रिक  और   आत्मिक  पतन  होता  है   और  व्यक्ति  का  खुशहाल  जीवन   दम    तोड़  देता  है   l 
  वर्तमान  विश्व  में    जिस  एक   वस्तु    का  व्यापार   सबसे  अधिक  हो  रहा  है  ,  वह  एक  प्रकार  का  भय  ही  है l     पश्चिमी  समाज     भय  खरीदने  और  बेचने  वालों  की  मंडी  में  तब्दील  हो   गया     है   l  जो  जितना  भय  पैदा  करता  है  ,  वह  उतना  ही  सफल  सिद्ध  हो  रहा  है   l   जो  फ़िल्में   जितना  भय  उत्पन्न  कर  सकेंगी  वे  उतनी  ही  सफल  हैं  ,  उनका  कारोबार  भी  करोड़ों   डॉलर  में  होता  है  l   वे  कॉमिक्स  जो  बच्चों  में  भय  पैदा  करते  हैं  वे  सर्वाधिक  बिकते  हैं   l   विश्व प्रसिद्ध     चिंतक   नोम   चोमस्की  ने  कहा  था था  कि   भय    व्यापार  की  छठी   इंद्रिय   है  l
  भय    मानवीय    मनो - मस्तिष्क  को  ंप्रभावित  करने  वाला   सबसे  बड़ा  कारण  है  l  व्यक्ति  ही  नहीं   समाज  एवं   राष्ट्र  भी   भयग्रस्त   हो  जाते  हैं  l   आज  सारा  संसार  आतंकवाद  और  जैविक  युद्ध  के  विनाश  से  भयभीत  है   l     कभी  भय  वास्तविक  होता  है   और  कभी  आसुरी  शक्तियां    अपने  विशिष्ट  उद्देश्यों  की  पूर्ति  के  लिए  भय  का  वातावरण   निर्मित  कर  देती  हैं   l
 भय  की  आशंका  समस्त  विपत्तियों  का  कारण  है  ,   भय  दासता  है  , इससे  प्रगति  अवरुद्ध  हो  जाती 
 है  l  भय  का  आधार  ही  स्वयं  पर  अविश्वास  है  l   जब  तक  स्वयं  पर  विश्वास  नहीं  होगा  , विकास  कैसे  संभव  होगा   l   ईश्वर विश्वास  से  ही  सभी  प्रकार  के  भय  से  मुक्ति  संभव  है  l   साहस  और  निर्भयता  ही  सफलता  का  रहस्य  है  l 

WISDOM ------- सुख से जीवन जीने के लिए शांति जरुरी है

  शांति  में  ही  समस्त  सुखों  का  अनुभव  होता  है   l   संत  इमर्सन  ने  लिखा  है ---- " युवावस्था  में  मेरे  अनेक  सपने  थे  l   उन्ही  दिनों  मैंने  एक  सूची   बनाई   थी  कि   जीवन  में  मुझे  क्या - क्या  पाना  है  l   इस  सूची   में  वे   सारी   चीजें  थीं  ,  जिन्हे  पाकर  मैं  धन्य  होना  चाहता   था  l   स्वास्थ्य , सौंदर्य , सुयश , सम्पति ,  सुख ,  इसमें  सभी  कुछ  था  l   इस  सूची   को  लेकर   मैं  बुजुर्ग  संत   थॉरो   के  पास  गया   और  उनसे  कहा  ---- " क्या  मेरी  इस  सूची   में  जीवन  की   सभी  उपलब्धियां   नहीं  आ  जाती  हैं   ? "  उन्होंने  मेरी  बात  को  ध्यान  से  सुना  l   फिर   बोले ---- " मेरे  बेटे  !  तुम्हारी  यह  सूची   बड़ी  सुन्दर  है   l   बहुत  विचार पूर्वक   तुमने  इसे  बनाया  है   l   फिर  भी  तुमने  इसमें   सबसे  महत्वपूर्ण  बात  छोड़  दी  ,  जिसके  बिना  सब  कुछ  व्यर्थ  हो  जाता  है   l  "
 मैंने  पूछा --- " वह  क्या  है  ? "     उत्तर  में   उन  वृद्ध  अनुभवी  संत  ने   मेरी  सम्पूर्ण  सूची   को  बुरी  तरह  काट  दिया   और  उसकी  जगह   उन्होंने  केवल  एक  शब्द  लिखा  --- शांति   l  "
  पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  ने  लिखा  है  ---- ' अंतर्मन  में  शांति  प्रगाढ़  हो   तो  दुःखमय   परिस्थितियां  ,  बाहरी  जीवन  के  सारे  आघात  मिलकर  भी    अन्तस्  में   दुःख  को  अंकुरित  नहीं  कर  पाते  l '