7 March 2019

WISDOM ------ सत्य तथा सत्कर्मों का अवलंबन करने से मनुष्य की अंतरात्मा में प्रसुप्त शक्तियां स्वत: ही जाग्रत हो जाती हैं

   औरंगजेब  ने     गुरु  तेगबहादुर  का  सिर  काटने  का  आदेश   दिया  l  एक  भाई  जीवनदास  ने  गुरु  का  सिर  तो  उठा  लिया   किन्तु  औरंगजेब  ने  गुरु  का  शरीर  देने  से  इनकार  कर  दिया  l  यह  ह्रदय विदारक  घटना  जब  घटी  उस  समय   गुरु  तेग बहादुर  के  पुत्र  गुरु  गोविन्दसिंह  की   आयु मात्र  पांच -छह  वर्ष  की  थी   किन्तु  सच्ची  धार्मिकता   और  धर्म  व  जाति  की  रक्षा  की   सच्ची  भावना  ने   उनके  अन्दर  अपूर्व  शक्ति , शौर्य , प्रभाव  तथा  तेज  भर  दिया  था  l    इस  बाल योद्धा   ने  गुरु  की  मृत्यु  से  उदास  खड़े  सैकड़ों  लोगों  की  और  उन्मुख  होकर  कहा ---- " गुरु  के  बलिदान  ने  हमें  शिक्षा  दी  है  कि  हम  उनके  पद चिन्हों  पर  चलकर  देश , धर्म  और  जाति  की  रक्षा  करें  l   उन्होंने  कहा --- " आज  धर्म  की  रक्षा  में   मैं  संत  परंपरा  की  गद्दी  पर  होने  पर  भी  स्वयं  शस्त्र  उठाता  हूँ   और  सबको   आज्ञा    देता  हूँ    कि  वे  किसी  भी  जाति,  या  वर्ण  के   क्यों  न  हों   क्षत्रिय  धर्म  का  अंगीकरण  करें   और  अत्याचार  के  विरुद्ध  हथियार  उठायें   l 
  इतनी  छोटी  सी   उम्र  में  उन्होंने  विशाल  जन  शक्ति  को  संगठित  किया   और  उनके  मानसिक  और  बौद्धिक  विकास  के  लिए   सैकड़ों  विद्वानों  और  शिक्षकों  को  नियुक्त  किया  l  उन्होंने  स्वयं  हिंदी , संस्कृत  व  फ़ारसी   आदि  अनेक   भाषाएँ  पढ़ीं  और  जनता  को  भी   पढ़ने  को  प्रेरित  किया  l  सैकड़ों  अनुयायिओं  को  विद्दा अध्ययन  के  लिए  काशी  भेजा  ,  जहाँ  से  वे  विद्वान्  बनकर  आये  और  जनता  में  शिक्षण  करने  लगे   l   उन्होंने  जनता  में   चन्द्रगुप्त , समुद्रगुप्त ,  अशोक  आदि  महान  राजाओं  के  इतिहास  का  प्रचार  किया  ,  रामायण , भागवत  की  कथाओं   का  वाचन  कराया   जिससे  जाति  को  अपने  अतीत के  गौरव  का  ज्ञान  हो   और  सोया  हुआ  आत्मविश्वास  जागे  l