लघु कथा ---- एक गुरु के दो शिष्य थे l दोनों श्रम करते थे l दोनों भजन -पूजन भी करते थे और सफाई और स्वच्छता पर भी दोनों की आस्था थी , किन्तु एक बड़ा सुखी था और दूसरा बड़ा दुःखी था l गुरु की मृत्यु पहले हुई है , उसके थोड़े समय बाद उन दोनों की भी मृत्यु हो गई l दैवयोग से तीनो स्वर्ग में भी एक स्थान पर जा मिले l वहां भी स्थिति पहले जैसी ही थी l जो पृथ्वी पर सुखी था , वह स्वर्ग में भी प्रसन्नता अनुभव कर रहा था और दूसरा व्यक्ति जो पृथ्वी पर कलह -क्श के कारण अशांत रहता था , वह स्वर्ग में भी अशांत था l दुःखी शिष्य ने गुरु के समीप जाकर कहा --- 'भगवन ! लोग कहते हैं ईश्वर भक्ति से स्वर्ग में सुख मिलता है , पर हम तो यहाँ भी दुःखी - के -दुःखी रहे " l गुरु ने गंभीर होकर उत्तर दिया ---- " वत्स ! ईश्वर भक्ति से स्वर्ग तो मिल सकता है , पर सुख और दुःख मन की देन हैं l मन शुद्ध है तो नरक में भी सुख है और मन शुद्ध नहीं तो स्वर्ग में भी कोई सुख नहीं है l '
26 July 2022
WISDOM -----
लघु -कथा ---- एक अँधा भीख माँगा करता था l जो पैसे मिल जाते उससे अपनी गुजर करता था l एक दिन एक धनी उधर से निकला , उसने ऊ७श्र्ख़ हाथ पर पांच रूपये का नोट रख दिया और आगे बढ़ गया l अंधे ने कागज को टटोला और समझा कि किसी ने ठिठोली की है और उस नोट को खिन्न मन से जमीन पर फेंक दिया l एक सज्जन ने नोट उठाकर अंधे को दिया और बताया कि कि ' यह तो पांच रूपये का नोट है l ' तब वह प्रसन्न हुआ और उससे अपनी आवश्यकता पूरी की l ज्ञान चक्षुओं के अभाव में हम भी परमात्मा के अपार दान को देख और समझ नहीं पाते और सदा यही कहते रहते हैं कि हमारे पास कुछ नहीं है , हमें कुछ नहीं मिला है , हम साधनहीन हैं l लेकिन यदि हमें जो नहीं मिला है , उसकी शिकायत करना छोड़कर , जो मिला है , उसकी महत्ता को समझें तो मालूम पड़ेगा कि जो कुछ मिला हुआ है , वह कम नहीं अद्भुत है l