30 October 2020

WISDOM -----

   एक  बार  रेगिस्तान  में   मुसाफिरों  का  एक  काफिला  सफर  कर  रहा  था   l  रास्ते  में  लुटेरों  के  एक  दल  से  काफिले  की  मुठभेड़  हुई  l   सरदार  के  हुक्म  से  हर  एक  यात्री  की  तलाशी  ली  गई  ,  जो  मिला  उसे  छीन  लिया  गया  l  एक  लड़के  की  तलाशी  में   फटे - पुराने  कपड़ों  के   सिवाय    कुछ  न  मिला  , तो  सरदार  ने  पूछा ---- क्या  तुम्हारे  पास  कुछ  भी  नहीं  है  l   लड़के  ने  कहा ---- "  मेरे पास  चालीस  अशर्फियाँ  हैं  ,  जो  माँ  ने  कपड़ों  में    सिल     दी  थीं   l   ये  मैं   अपनी  बहन  के  लिए   ले जा  रहा  हूँ   l "  सरदार  ने  कहा  --- ' जब  ये  तुम्हे  छिपानी  न  थीं   तो  फटे   कपड़े   में  सिलवाने  की  क्या  जरुरत  थी  ? '  लड़के  ने  कहा ---- माँ  ने  इस  वास्ते  सी दीं   की  कहीं  कोई  छीन  न  ले   और  नसीहत  भी  दी  कि   बेटा ,  कभी  झूठ  न  बोलना  l   मैंने  अपनी  माँ  का  आज्ञापालन  किया  l '  लड़के  की  इस  सच्चाई  से  लुटेरों  का  सरदार  खुश  हुआ   और  मुसाफिरों  का  लूटा   माल   वापस  कर  दिया  l   सभी   लुटेरों  को  बदल  कर   सच्चा  रास्ता  बताने  वाला   और  कोई  नहीं   अपितु  खलीफा  अमीन   था   l 

WISDOM -----

 एक  दिन  राजा  भोज गहरी  निद्रा  में  सोए   हुए  थे  l  उन्हें  स्वप्न  में  एक  अत्यंत  तेजस्वी  वृद्ध  पुरुष  के  दर्शन  हुए  l   भोज  ने  उनसे  पूछा ---- " महात्मन  ! आप  कौन  हैं  ? "  वृद्ध  ने  कहा ---- " राजन  ! मैं  सत्य  हूँ  l   तुझे  तेरे  कार्यों  का   वास्तविक  रूप  दिखाने   आया  हूँ  l   मेरे  पीछे - पीछे  चला    आ  और  अपने       कार्यों  का  वास्तविक  रूप  देख  l  "  राजा  उस  वृद्ध  के  पीछे  चल  दिया  l   राजा  भोज  बहुत  दान - पुण्य , यज्ञ , व्रत , तीर्थ , कथा - कीर्तन  करते  थे  l   उन्होंने  अनेक  मंदिर , कुएं तालाब , बगीचे   आदि  भी  बनवाये  थे  l   राजा  के  मन  में  उन  कर्मों  के  कारण  अभिमान  आ  गया   था  l   वृद्ध  पुरुष  के  रूप  में  आया  सत्य   सबसे  पहले  राजा  को  फल , फूलों  से  लदे   बगीचे  में       ले  गया   l   वहां  सत्य  ने  जैसे  ही   पेड़ों  को  छुआ  ,  सब  एक - एक  कर  के  ठूंठ  हो  गए  l   राजा  आश्चर्यचकित  रह  गया  l  फिर  सत्य  राजा  भोज   को मंदिर     ले  गया  l   सत्य  ने  जैसे  ही  उसे  छुआ  ,  वह  खंडहर  हो  गया  l  वृद्ध  पुरुष   ने   राजा  के   यज्ञ , तीर्थ , कथा , पूजन , दान  आदि  के  निमित  बने  स्थानों   आदि  को  ज्यों  ही  छुआ  वे  सब  राख   हो गए  l   राजा  यह  सब  देखकर  विक्षिप्त - सा  हो      गया  l  सत्य  ने  कहा --- " राजन  ! यश  की  इच्छा  के  लिए   जो  कार्य  किए   जाते   हैं ,  उनसे  केवल  अहंकार   की  पुष्टि  होती  है  ,  धर्म   का निर्वहन  नहीं   l   सच्ची  भावना  से   निस्स्वार्थ   होकर  कर्तव्यभाव  से  जो  कार्य   किए   जाते  हैं  ,  उन्ही  का  फल   पुण्य  रूप  में  मिलता  है   l    "  इतना  कहकर   सत्य  अंतर्धान    हो गया हो  गया  l     राजा  ने  निद्रा   टूटने पर   स्वप्न  पर   विचार   किया  और   सच्ची भावना   से  निष्काम   कर्म  करने  लगा   l