' विचार मनुष्य को क्या से क्या बना देते हैं l विचार व्यक्ति व समाज का कायाकल्प कर के रख देते हैं
स्टालिन पिता जूते गांठने का काम करते थे , माता लोगों के कपड़े धोया करती थी l माँ चाहती थी उसका बेटा पादरी बन जाये l संयोग से एक दिन स्टालिन हाथ मार्क्स की ' पूंजी अथवा राजनैतिक अर्थव्यवस्था ' की एक समीक्षा लग गई l इस पुस्तक ने स्टालिन को पादरी बनने से बचा लिया और क्रान्तिकारी बना दिया l
सोवियत जनता को जार के निरंकुश शासन से मुक्ति दिलाने के लिए उसने जीवन के स्वर्णिम बीस वर्ष समर्पित कर दिए l जो अपने क्षुद्र व्यक्तित्व को किसी लोकोपयोगी महान लक्ष्य से जोड़ लेते हैं तो उनमे स्टालिन जैसी सामर्थ्य स्वत: उत्पन्न हो जाती है l इस क्रान्ति के मार्ग पर स्टालिन को गालियाँ , चाबुक , मार , यंत्रणा सब कुछ सहना पड़ा l उत्तरी ध्रुव प्रदेश से लगे रूस के एक गाँव में स्टालिन को चार वर्ष तक अति कष्ट का जीवन बिताना पड़ा , वहां दो सौ मील तक कोई बस्ती नहीं थी और बारहों महीने कड़ाके की ठण्ड पड़ती थी | बीस से भी अधिक वर्षों तक क्रान्ति के लिए जी - जान से जुटा रहा | इस दौरान वह लेनिन का दाहिना हाथ बन चुका था |
आखिर निरंकुश जार शासन समाप्त हुआ l लेनिन सोवियत रूस का सर्वेसर्वा बना l लेनिन की मृत्यु के बाद स्टालिन बीस वर्षों तक सोवियत संघ का एकछत्र शासक रहा l स्टालिन की कठोरता और निर्ममता राष्ट्र हित में होने के कारण उपयोगी सिद्ध हुई l उसने सामाजिक हित में व्यक्तिगत इच्छाओं को त्याग दिया l एकछत्र शासक होने पर भी वह जार के शानदार महल में रहने के बजाय सचिवालय के कर्मचारियों को मिलने वाले साधारण क्वार्टर में रहता था , सुख - वैभव को त्याग कर सामान्य जीवन व्यतीत करता था |
स्टालिन पिता जूते गांठने का काम करते थे , माता लोगों के कपड़े धोया करती थी l माँ चाहती थी उसका बेटा पादरी बन जाये l संयोग से एक दिन स्टालिन हाथ मार्क्स की ' पूंजी अथवा राजनैतिक अर्थव्यवस्था ' की एक समीक्षा लग गई l इस पुस्तक ने स्टालिन को पादरी बनने से बचा लिया और क्रान्तिकारी बना दिया l
सोवियत जनता को जार के निरंकुश शासन से मुक्ति दिलाने के लिए उसने जीवन के स्वर्णिम बीस वर्ष समर्पित कर दिए l जो अपने क्षुद्र व्यक्तित्व को किसी लोकोपयोगी महान लक्ष्य से जोड़ लेते हैं तो उनमे स्टालिन जैसी सामर्थ्य स्वत: उत्पन्न हो जाती है l इस क्रान्ति के मार्ग पर स्टालिन को गालियाँ , चाबुक , मार , यंत्रणा सब कुछ सहना पड़ा l उत्तरी ध्रुव प्रदेश से लगे रूस के एक गाँव में स्टालिन को चार वर्ष तक अति कष्ट का जीवन बिताना पड़ा , वहां दो सौ मील तक कोई बस्ती नहीं थी और बारहों महीने कड़ाके की ठण्ड पड़ती थी | बीस से भी अधिक वर्षों तक क्रान्ति के लिए जी - जान से जुटा रहा | इस दौरान वह लेनिन का दाहिना हाथ बन चुका था |
आखिर निरंकुश जार शासन समाप्त हुआ l लेनिन सोवियत रूस का सर्वेसर्वा बना l लेनिन की मृत्यु के बाद स्टालिन बीस वर्षों तक सोवियत संघ का एकछत्र शासक रहा l स्टालिन की कठोरता और निर्ममता राष्ट्र हित में होने के कारण उपयोगी सिद्ध हुई l उसने सामाजिक हित में व्यक्तिगत इच्छाओं को त्याग दिया l एकछत्र शासक होने पर भी वह जार के शानदार महल में रहने के बजाय सचिवालय के कर्मचारियों को मिलने वाले साधारण क्वार्टर में रहता था , सुख - वैभव को त्याग कर सामान्य जीवन व्यतीत करता था |