26 April 2023

WISDOM ----

     पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ---- " जो  कार्य  अभी  हो  सकता  है  , उसे  कल  के  लिए  न  छोड़ें  , उसे  तत्काल  करें  l     अभी  हो  सकने  वाले  कार्य  को  घंटे  भर  बाद  करने  की  मनोवृत्ति  आलस्य  की  निशानी  है  l  आलस्य  मनुष्य  का  सबसे  बड़ा  शत्रु  है  l  "    एक  लघु  कथा  है ----- ------  पत्नी  ने  पति  को  सुझाव  दिया  --- 'वर्षा  समीप  है  , अब  छत  पर  मिटटी  डाल  लेनी  चाहिए  l ' पति  थे  आलसी  ,  बोले ---- " ऐसी  क्या  जल्दी  है  , डाल  लेंगे  l  मिटटी  डालने  में  कितना  समय  लगता  है  l "  पत्नी  चुप  हो  गई  l  फिर  आकाश  में  कुछ  बदल  घिर  आए  , पत्नी  बोली --- 'देखिए , बरसात  सिर  पर  आ  गई   अब  मिटटी  डाल  लेनी  चाहिए  l '  पति  महोदय  ऊँघते  हुए  बोले --- "  बादल   तो  रोज  ही  आते  हैं  l  रात  में  ही  बादल  नहीं  बरस  पड़ेंगे  l  "  वह  दिन  भी  निकल  गया  और  मिटटी  छत  पर  नहीं  पड़ी  l  फिर  एक  दिन  एकाएक  आँधी  आई   और  अपने  साथ      बादलों  का  एक  झुण्ड  भी  बहा  लाइ  l देखते  ही  देखते  आकाश  में  काले  बादल   छा    गए  l  बिजली  चमकी  और  तेज  वर्षा  आरम्भ  गिल  कई  दिन  तक  घनघोर  वर्षा  हुई  , परिणाम  यह  हुआ  कि  पूरा  मकान  धराशाई   हो  गया  l  पति  महोदय  रोने  लगे  -- "  अब  इन  बच्चों  का  क्या  होगा  ? "  पत्नी  ने  धीरे  से  कहा --- "  वही  जो  आलसियों  के  बच्चों  का  होता  आया  है  l " 

WISDOM ----

   पं . श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ---- 'प्रत्येक  छोटे  से  लेकर  बड़े  कार्यक्रम   शांत  और  संतुलित  मस्तिष्क  द्वारा  ही  पूरे  किए  जा  सकते  हैं  l  संसार  में  मनुष्य  ने  अब  तक  जो   कुछ  भी   उपलब्धियाँ  प्राप्त  की  हैं  , उनके  मूल  में   धीर -गंभीर  शांत  मस्तिष्क  ही  रहे  हैं  l  कोई  भी  साहित्यकार  , वैज्ञानिक , कलाकार -शिल्पी , यहाँ  तक  की  बढ़ई , लोहार , सफाई  करने  वाले  श्रमिक   तक  अपने  कार्य  , तब  तक  भली  भांति  नहीं  कर  सकते , जब  तक  उनकी  मन:स्थिति  शांत  न  हो   l '                            कार्ल मार्क्स  ने  अपनी  विश्वविख्यात   कृति  ' दास कैपिटल  '   एक  पैर  पर  खड़े  होकर  लिखी  , क्योंकि  उन  दिनों  उनके   नितंब  पर  फोड़ा  निकला  हुआ  था  , जिससे  वह  बैठ  नहीं  पाते  थे  l  कार्ल मार्क्स  ने  अपने  मित्र  से  एक  बार   हँसी  में  कहा  था  कि  मेरा  यह  फोड़ा  पूंजीपतियों  को  बहुत  दरद  देगा   और  उनकी  यह  बात  सच  निकली  l