पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ---- " जो कार्य अभी हो सकता है , उसे कल के लिए न छोड़ें , उसे तत्काल करें l अभी हो सकने वाले कार्य को घंटे भर बाद करने की मनोवृत्ति आलस्य की निशानी है l आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है l " एक लघु कथा है ----- ------ पत्नी ने पति को सुझाव दिया --- 'वर्षा समीप है , अब छत पर मिटटी डाल लेनी चाहिए l ' पति थे आलसी , बोले ---- " ऐसी क्या जल्दी है , डाल लेंगे l मिटटी डालने में कितना समय लगता है l " पत्नी चुप हो गई l फिर आकाश में कुछ बदल घिर आए , पत्नी बोली --- 'देखिए , बरसात सिर पर आ गई अब मिटटी डाल लेनी चाहिए l ' पति महोदय ऊँघते हुए बोले --- " बादल तो रोज ही आते हैं l रात में ही बादल नहीं बरस पड़ेंगे l " वह दिन भी निकल गया और मिटटी छत पर नहीं पड़ी l फिर एक दिन एकाएक आँधी आई और अपने साथ बादलों का एक झुण्ड भी बहा लाइ l देखते ही देखते आकाश में काले बादल छा गए l बिजली चमकी और तेज वर्षा आरम्भ गिल कई दिन तक घनघोर वर्षा हुई , परिणाम यह हुआ कि पूरा मकान धराशाई हो गया l पति महोदय रोने लगे -- " अब इन बच्चों का क्या होगा ? " पत्नी ने धीरे से कहा --- " वही जो आलसियों के बच्चों का होता आया है l "
26 April 2023
WISDOM ----
पं . श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ---- 'प्रत्येक छोटे से लेकर बड़े कार्यक्रम शांत और संतुलित मस्तिष्क द्वारा ही पूरे किए जा सकते हैं l संसार में मनुष्य ने अब तक जो कुछ भी उपलब्धियाँ प्राप्त की हैं , उनके मूल में धीर -गंभीर शांत मस्तिष्क ही रहे हैं l कोई भी साहित्यकार , वैज्ञानिक , कलाकार -शिल्पी , यहाँ तक की बढ़ई , लोहार , सफाई करने वाले श्रमिक तक अपने कार्य , तब तक भली भांति नहीं कर सकते , जब तक उनकी मन:स्थिति शांत न हो l ' कार्ल मार्क्स ने अपनी विश्वविख्यात कृति ' दास कैपिटल ' एक पैर पर खड़े होकर लिखी , क्योंकि उन दिनों उनके नितंब पर फोड़ा निकला हुआ था , जिससे वह बैठ नहीं पाते थे l कार्ल मार्क्स ने अपने मित्र से एक बार हँसी में कहा था कि मेरा यह फोड़ा पूंजीपतियों को बहुत दरद देगा और उनकी यह बात सच निकली l