2 June 2020

WISDOM ----- तृष्णा का कोई अंत नहीं है

  तृष्णा  का  अंत  नहीं  है  l   व्यक्ति  वृद्ध  होता  जाता  है  लेकिन  उसकी  कामनाएं  समाप्त  नहीं  होतीं  l  स्थिति  तब  और  विकट   हो  जाती  है  जब    बढ़ती  उम्र  के  साथ  व्यक्ति  अपनी   असीमित  कामनाओं  को  तृप्त  करने  के  लिए   दूसरों  की  खुशियां   छीनता   है  l   पुराणों  में  एक  कथा  है  ---- महाराज  ययाति  बूढ़े  हो  गए   लेकिन  उनकी   कामनाएं   समाप्त  नहीं  हुईं  l   उन्होंने  अपने  पुत्रों  से  उनका  यौवन  माँगा   l   उनके  चार  पुत्रों  ने  तो  मना  कर  दिया   किन्तु   छोटे  पुत्र  ने  पिता  की  इच्छाओं  के  आगे  अपना  जीवन  उत्सर्ग  कर  दिया  l   अपना  यौवन  उन्हें  देकर  उन का  बुढ़ापा  ले  लिया  l   हजारों  वर्षों  तक  भोग  भोगने  के  बाद  भी  उन्हें  शांति  नहीं  मिली   l
  आज  संसार  की  स्थिति  कुछ  ऐसी  ही  है   युवा  लोगों  की  नौकरी  , उनकी  उमंगें   छिन   गईं  l   ययाति  आज  भी  हैं  , एक  नहीं  अनेक  हैं  l   हमारे  पूर्वजों  ने  इसलिए  आश्रम  व्यवस्था  की  थी  l   एक  निश्चित  आयु  के  बाद  वानप्रस्थ आश्रम  की  व्यवस्था  थी  ताकि  नई  पीढ़ी को  आगे  बढ़ने  का ,  परिवार  की  और  युग  की  जिम्मेदारी  निभाने  का  अवसर  मिले  लेकिन  मनुष्य  की  असीमित  इच्छाओं , लालच , तृष्णा  ने   सब  कुछ  ध्वस्त  कर  दिया  l