जीवन -यापन के लिए धन बहुत जरुरी है l सभी लोग किसी न किसी तरह धन कमाते हैं ताकि उनका और उनके परिवार का गुजारा हो सके l लेकिन जो लोग धनवान बनने और इस क्षेत्र में दूसरों से आगे रहने की दौड़ में सम्मिलित हो जाते हैं , वे अपने लिए तो तनाव को आमंत्रित करते ही हैं , साथ ही सम्पूर्ण समाज के लिए कष्ट का कारण बनते हैं l क्योंकि अति का धन कभी भी ईमानदारी और सच्चाई से नहीं आता उसके लिए अनेकों प्रकार की चालाकियां और चालबाजियाँ करनी पड़ती हैं l इन सबका परिणाम क्या होता है , यह ईश्वरीय विधान के अनुसार काल निश्चित करता है l आज संसार में इतनी अशांति इसीलिए है क्योंकि हर व्यक्ति दौड़ रहा है , दूसरे को धक्का देकर आगे निकलना चाहता है l अब लोगों में धैर्य नहीं है l यह दौड़ परिवार , समाज , राष्ट्र और पूरे संसार में है , प्रत्येक क्षेत्र में है l अहंकार बढ़ जाने और मानवीयता न होने से केवल धक्का ही नहीं है , कुचलकर आगे बढ़ने वाली स्थिति है l यदि इसे रोकने का कोई प्रयास न हो तो छोटी सी चिंगारी दावानल बन जाती है , विश्वयुद्ध का रूप ले लेती है l इससे नुकसान सभी को है l सबके जीवन में कष्ट और मृत्यु के कारण भिन्न -भिन्न होते हैं
5 February 2023
WISDOM ----
एक दिन कबीर गंगा घाट पर गए हुए थे l उन्होंने एक ब्राह्मण को किनारे पर हाथ से अपने शरीर पर पानी डालकर स्नान करते हुए देखा तो अपना पीतल का लोटा देते हुए कहा --- " लीजिए , इस लोटे से आपको स्नान करने में सुविधा होगी l " लेकिन ब्राह्मण ने कबीर को गुस्से में घूरते हुए कहा -- " रहने दे l ब्राह्मण जुलाहे के लोटे से स्नान करने से भ्रष्ट हो जायेगा l " इस पर संत कबीर हँसते हुए बोले --- " लोटा तो पीतल का है , जुलाहे का नहीं l रही भ्रष्ट , अपवित्र होने की बात , तो मिटटी से साफ कर गंगा के पानी से इसे कई बार धोया है और यदि यह अभी भी अपवित्र है तो मेरे भाई , दुर्भावनाओं , विकारों से भरा मनुष्य क्या गंगा में नहाने से पवित्र हो जायेगा ? " कबीर के इस जवाब ने ब्राह्मण को निरुत्तर कर दिया l