8 September 2019

WISDOM ----- शत्रु से सतर्कता शूरवीरों को संसार में बड़े -बड़े काम करने के लिए सुरक्षित रखा करती है l

    राजा  कौणिक  अपने  पड़ोसी  राज्य  वज्जीगण  पर  विजय  प्राप्त  करना  चाहता  था , परन्तु  वह  राज्य  अत्यंत  शक्तिशाली  था  l  कौणिक  ने  अपने  महामंत्री  से  परामर्श  लिया  कि  पड़ोसी  राज्य  पर  युद्ध  द्वारा  विजय  पाना  संभव  नहीं  है  l  क्या  किया  जाये  ?    महामंत्री  ने  राजा  को  एक  योजना  बताई  ,  जिसे  राजा  ने  स्वीकार  कर  लिया  l
योजनानुसार  घोषणा  कर  दी  गई  कि  कौणिक  ने  नाराज  होकर  महामंत्री  को  देश  निकाला  दे  दिया  है  l  घोषणा  के  बाद  महामंत्री  शरणागत  होकर  पड़ोसी  राजा  के  यहाँ  पहुंचा  l  राजा  ने  उसे  शरण  दे  दी  l
   वहां  रहकर  महामंत्री  ने  प्रशासन  के  सभी  अधिकारियों  के  मध्य  मनमुटाव  पैदा  करना  शुरू  कर  दिया  l  जब  उसका  मनोरथ  सिद्ध  हो  गया  तो  उसने  राजा  कौणिक  को  सूचना  भिजवा  दी   l  राजा  कौणिक  सेना  लेकर  आक्रमण  के  लिए  पहुंचा   l  आक्रमण  की  सूचना  की  रणभेरी  बजने  पर  भी   इस  राज्य  से  कोई  लड़ने  नहीं  पहुंचा  l  अपनी  हार  सामने  देखकर   राजा  ने  अपने  योद्धाओं  को  बुलाकर  इसका  कारण  पूछा   तो  वे  सब  बोले --- " राजन  ! अमुक  सेनापति  मुझे  शक्तिहीन  बता  रहा  है ,  वह  अधिकारी  मेरी  प्रगति  से  जलता  है  l "  राजा  को  अब  समझ  में  आया  कि  उसकी  सेना  में  एक  दूसरे  के  प्रति  जो  संदेह  और  अविश्वास  उभरा  है  उसके  पीछे  राजा  कौणिक  के  मंत्री  की  कूटनीति  जिम्मेदार  है  l  जो  कार्य  सेना  न  कर  सकी  उसे  आपस  के  मनमुटाव  ने  कर  दिया  l