15 February 2020

WISDOM -----

  पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  ने  लिखा  है --- "  प्रतिभा  ईश्वर  प्रदत्त  एक  ऐसा   उपहार  है   जो  हर  व्यक्ति  को  ,  उसने  बिना  किसी  भेदभाव  के  बांटा  है  l   अब  यह  उस  व्यक्ति  पर  निर्भर  है  कि  वह  उस  क्षमता  का  विकास  किस  प्रकार  कर  लेता  है  l  '
आचार्य श्री  लिखते  हैं --- ' प्रतिभाशाली  होने  का  अर्थ  है ---- विनम्र , साहसी  एवं   संकल्पवान  बनना  l   इसके  अभाव  में  मनुष्य   महानता  के  उच्च  सोपानों  को  प्राप्त  नहीं  कर  सकता  l '
   संसार  में  जितने  भी  प्रतिभाशाली  महापुरुष  हुए   हैं , अत्यंत  निर्धनता  की  स्थिति   में  भी  वे   पीड़ा  और  पतन  निवारण   के  अपने  कार्य  से  च्युत  नहीं  हुए  l  यद्द्पि  धन  का  लालच , पद  का  प्रलोभन   एवं   उच्च  वर्ग  के  दबाव  उन  पर  कम   नहीं  थे  ,  फिर  भी  वे  जीवन  भर  उसका  साहस पूर्वक  सामना  करते  रहे   और  प्रेम , सम्मान  और  चरित्र  से  प्रेरित  होकर  कार्य  करते  रहे  l
  अंग्रेज  शासक  चार्ल्स  द्वितीय  के  सांसदों  में   मार्वल  एक  ऐसा  प्रतिभाशाली  सदस्य  था   जिससे  निरंकुश  शासक  को  अपनी  सत्ता  छिन   जाने  का  सतत   भय  बना  रहता  था  l   जनता  उसके  विरुद्ध  थी  और  उसका  नेतृत्व   मार्वल  के  हाथों  में  सुरक्षित  था  l  राजा  ने  सभी  प्रमुख  व्यक्तियों  को  कामिनी - कांचन   का  प्रलोभन  देकर  अपने  पक्ष  में  कर  लिया   फिर  भी  मार्वल  को  वह  अपनी  मुट्ठी  में  न  ले  सका  l   चार्ल्स  के  लाखों  प्रयत्न  भी  उसे   उसके  कर्तव्य पथ  से  विचलित  न  कर  सके  l   उसका  कोषाध्यक्ष  डेनवी   जब  एक  लाख  पौंड  लेकर  सांसद   के  पास  पहुंचा   तो  उसने  यह  कहते  हुए  वापस  कर  दिया  --- " मैं  यहाँ  उन  लोगों  की  सेवा  करने  आया  हूँ  जिन्होंने  मुझे  चुन  कर  भेजा  है  l   अपनी  स्वार्थ पूर्ति  के  लिए   राजा  किसी  और  मंत्री  को  चुन  ले  ,  मैं  उनमे  से  नहीं  हूँ  l  "   मार्वल  की  सादगी  और  चरित्र  निष्ठा   आज  भी  लोगों  के  लिए  प्रेरणा  का  स्रोत  बनी   हुई  है  l   उसकी  समाधि   पर  अंकित   ये  शब्द  आज  भी  कितने  सार्थक  हैं ----- " अच्छे  लोग  उससे  प्यार  करते  थे  ,  बुरे  लोग  उससे  डरते  थे  ,  कुछ  लोग  उसका  अनुकरण  करते  थे   परन्तु  उसकी  बराबरी  करने  वाला  कोई  न  था  l "