16 April 2023

WISDOM ------

   अनमोल  वचन ----- पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ---- " महत्वाकांक्षा  की  धुरी  पर  घूमने  वाला  जीवन वृत्त  ही  नरक  है  l  महत्वाकांक्षा  का  ज्वर  जीवन  को  विषाक्त  कर  देता  है  l  जो  इस  ज्वर  से  पीड़ित  हैं  , शांति  का  संगीत   और  आत्मा  का  आनंद  भला  उनके  भाग्य  में  कहाँ  ?    महत्वाकांक्षा  यों  तो   प्रगति  के  लिए   अत्यंत   आवश्यक  है  ,  पर  वह  अनियंत्रित  होने  पर   दुःख . शोक  का   कारण  बनती  है  l " 

 आचार्य जी  लिखते  हैं --- "  जब  तक  अहंकार  जिन्दा  है  ,  आदमी  दो  कौड़ी  का  है  l   जिस  दिन  वह  मिट  जायेगा  ,   आदमी    बेशकीमती   हो  जायेगा  l   अहं  ही  है   जिसके  कारण   न  सिद्धांत , न  सेवा  , न  आदर्श  आ  पाते  हैं  l  व्यक्ति  लोक सेवा  के  क्षेत्र    में   प्रवेश  कर  के  भी  अनगढ़  बना  रहता  है  l  "