3 August 2021

WISDOM -----

   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं  ----- "  मनुष्य  शरीर  होने  के    नाते     जीवन  में  गलतियों  का  होना  स्वाभाविक  है  ,  पर  उन  गलतियों  से  सीख  प्राप्त  करना   महत्वपूर्ण  घटना  है   l  सामान्य   मनुष्य   एक  गलती  करता  है  ,  उससे  कुछ  सीखता  नहीं    है  ,  और  आदतन  वही   गलतियाँ   बार - बार  करते  चला  जाता  है  l   आचार्य श्री  लिखते    हैं   ----- "  यदि  लोग  अपने  दोषों  का  चिंतन  किया  करें  ,  उन्हें  स्वीकार  कर  लिया  करें    और  उनका  दंड  भी  उसी  साहस  के  साथ  भुगत  लिया  करें    तो  व्यक्ति  की  आत्मा  में  इतना  बल  आ  जाता  है    कि   कोई  और  साधन - सम्पन्नता   न  होने  पर  भी   वह  संतुष्ट  जीवन  जी  सकता  है   l   "                                            आज  के  समय  में  बढ़ते  हुए  तनाव  ,   सिरदर्द    का  एक  बड़ा  कारण  यह  भी  है   कि   लोग  अपने  दोषों  को  छिपाते  हैं   l   अच्छाई  में  गजब  का  आकर्षण  होता  है  ,  इस  कारण  बुरे  से  बुरा  व्यक्ति  भी    स्वयं  को  समाज  में  अच्छा  व  सदाचारी  दिखाना  चाहता   है    ,   अपने   दोषों  को  ,     अपने  द्वारा  किए   गए  गलत  कार्यों  को  समाज  से  छुपाना  चाहता  है   l   कुत्सित  मानसिकता  के  व्यक्ति    लोगों  की  ऐसी  कमजोरियों  का  पता  लगाकर   उनसे  अपना  स्वार्थ  सिद्ध  करते  हैं  ,  उनको  ब्लैकमेल  करते  हैं    l   यदि  मनुष्य  के  जीवन  में  अध्यात्म  विकसित  हो  जाए   तो  वह  अपने  जीवन  को  खुली  किताब  रखे  ,  अपने  दोषों  को    साहस  के  साथ  स्वीकार  करे  और  दूर  करने  का    निरंतर  प्रयास  करें   l   आचार्य श्री    लिखते  हैं  ---- ' जो  दोषों  को  छिपाते  हैं   वे  गिरते  चले  जाते  हैं   पर  जो  बुराइयों  को  स्वीकार  करता  है  ,  उसकी  आत्महीनता  तिरोहित  हो  जाती  है  l    भूल  को  स्वीकार  करने  से   और  उसका  प्रायश्चित  करने  से    आत्मा  की  जटिल  ग्रंथियां  मुक्त  होती  जाती  हैं  ,  ऐसे  साहसी  व्यक्ति  ही   सांसारिक  सुख - वैभवों  का   भी  लाभ  पाते  हैं   l  "