14 December 2021

WISDOM --------

   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ----- " मनुष्य  का  जीवन  एक  खेत  है  ,  जिसमे  कर्म  बोये  जाते  हैं   और  उन्ही  के  अच्छे - बुरे  फल  काटे  जाते  हैं  l   जो  अच्छे  कर्म  करता  है  वह  अच्छे  फल   पाता   है  , बुरे  कर्म  करने  वाला  ,  बुराई  ही  समेटता  है   l  "  वे  अपने  चिंतन  में  एक  प्रचलित  कहावत  कहते  हैं  ---- " आम   बोने  वाला  आम  खायेगा  ,  जो  बबूल   बोयेगा  ,  वह  हमेशा  कांटे  ही  पायेगा   l  "  बबूल   बोकर   आम  प्राप्त  करना  जिस  तरह  प्रकृति  का  सत्य  नहीं  है  ,  उसी  प्रकार  बुराई  के  बीज  बोकर  अच्छाई  पा  लेना  संभव  नहीं  है  l   कर्मफल  का  यह  विधान  अकाट्य  व   निरंतर  है  l   जन्म  व  जीवन  के  साथ  यह   सतत   प्रवाहमान  रहता  है  l  कर्म  करने  के  लिए  मनुष्य  स्वतंत्र  है  किन्तु    उसका     फल  कब  और कैसे  मिलेगा  यह  काल  तय  करता  है  l   हमारे  मन  के  तार  ईश्वर  से  जुड़े  हैं  ,केवल  कर्म  ही  नहीं ,  हम  जो  कुछ  विचार  करते  हैं  , कोई  कार्य  करते  वक्त  हमारी  भावना  क्या  है ,  उसकी , हर  पल  की  खबर  ईश्वर  को  होती  है  l   कर्म  के  फल  से  कोई  नहीं  बच  सकता   l