28 December 2023

WISDOM ----- जिस तरह व्यक्ति अपने कार्यों को बाद में करने के लिए टाल देता है , उसी प्रकार व्यक्ति को अपने गुस्से को भी टालना सीखना चाहिए

  सूफी  फकीर  जुन्नैद   के  जीवन  का  प्रसंग  है  --- जुन्नैद  बहुत  ही  शांत  स्वभाव  के  थे  l  लोग  उनके  पास  अपनी  समस्याओं  के  समाधान  के  लिए  आते  थे  l  उनके  पास  आने  वालों  में   कुछ  तो  बेहद  गुस्से  में  आते   और  कहते  ---- " जिस  शख्स  के  कारण  मैं  गुस्से  में  हूँ  ,  उसे  सबक  सिखाने  का  कोई  नुस्खा  जल्दी  से  बता  दीजिए  , ताकि  आगे  से  वो  मेरे  साथ   वैसी  हरकत  न  कर  सके  l "  जुन्नैद  ने  उसे  शांत  करने  की  बहुत  कोशिश  की  लेकिन  उसका  गुस्सा  कम  नहीं  हुआ  तब  वे  बोले  ---- " मैं  तुम्हे  क्रोध  करने  को  मना  नहीं  करता  हूँ  ,  बल्कि  ये  कहता  हूँ  कि  तुम  आराम  से  गुस्सा  करना  ,  पर  चौबीस  घंटे  बाद करना   l "  अगले  दिन  जब  लोग  उनके  पास  आते   तो  उनका  गुस्सा  शांत   हो  गया  होता   था  l  एक  दिन  जुन्नैद  से  उनके  एक  शिष्य  ने  पूछा  ---- "  आखिर  क्रोध  करने  वाले  इन  लोगों  को   आप  चौबीस  घंटे  का  समय  ही  क्यों  देते  हैं  ? "  जुन्नैद  बोले  ---- " बेटा  !  क्रोध  के   आवेश  में  यदि  तुरंत  जवाब  दिया  जाए   तो  आदमी  बेकाबू  हो  जाता  है  l  वह  दोस्ती , रिश्ते -नाते  भी  भुला  देता  है  l  उस  समय  उसे  कुछ  भी  समझा  पाना  संभव  नहीं  होता  l "  इस  पर  शिष्य  बोला ---- " फिर  चौबीस  घंटे  का  वक्त  ही  क्यों  ?  दो -तीन  दिन  का  समय  क्यों  नहीं  ? "  इसका  जवाब  देते  हुए  जुन्नैद  बोले  ---- " चौबीस   घंटे    तक  कोई  लगातार  गुस्से  में  नहीं  रह  सकता  ,  इस  दौरान  उसे  अपने  आप  अपनी  गलती  का  एहसास  होने  लगता  है  l  वहीँ  दो -तीन  दिन  बाद  वह  और  कामों  में  व्यस्त  हो  जाता  है   और  अपनी  गलती  भूल  जाता  है  l  इसलिए  चौबीस  घंटे  के  अन्दर   कोई  भी  व्यक्ति   यदि  अपने  गुस्से  पर  सोच -विचार  कर  ले  ,  तो  वह  उसे   न  सिर्फ  काबू  कर  सकता  है  ,  बल्कि  दूसरों  को  भी  उनकी  गलती  का  एहसास  करा  सकता  है  l "  इसलिए  क्रोध  आने  पर  हमें  स्वयं  को  समय  देना  चाहिए   और  किसी  का  नुकसान  करने  का  मन  हो  तो   उस  पर  एक  दिन  बाद  पुन:  विचार  करना  चाहिए  l