यक्ष ने युधिष्ठिर से पूछा ---- ' इस संसार का सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है ? ' युधिष्ठिर ने उत्तर दिया --- ' हर रोज आँखों के सामने कितने ही प्राणियों को मृत्यु के मुख में जाते देखकर भी शेष मनुष्य यही सोचते हैं कि वे अमर हैं , यही सबसे बड़ा आश्चर्य है l " मृत्यु तो सब की निश्चित है लेकिन सांसारिक आकर्षण इतना तीव्र है , कामना , वासना , तृष्णा , स्वाद , भय , भोग -विलास , इन सब में मनुष्य इतना बंधा हुआ है कि वह मृत्यु को भुला देता है l एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि यदि मृत्यु को याद रखा जाए तो हर कदम फूंक -फूंक कर रखना होगा , जो सबसे कठिन कार्य है l इसलिए मनुष्य मृत्यु का विस्मरण कर बेहोशी का जीवन जीता है l एक लघु कथा है -------------- एक पेड़ पर दो बाज रहते थे l एक दिन दोनों शिकार पकड़कर लौटे तो एक की चोंच में चूहा था और दूसरे की चोंच में सांप और अभी जीवित थे l दोनों बाज शाम को मिल बैठकर खाते थे l अपना शिकार लेकर जब दोनों पेड़ पर बैठे , उस समय सांप और चूहा जीवित थे l सांप स्वयं तो मृत्यु के मुख में था लेकिन चूहे को देखकर वह अपनी मृत्यु भूल गया , और चूहे को खाने के लिए उसकी जीभ लपलपाने लगी l इधर चूहा मृत्यु शैया पर पड़ा था , बाज की चोंच से घायल अंतिम साँस गिन रहा था लेकिन अपनी जान बचाने के लिए बाज के ही पैरों में छुपने की कोशिश करने लगा l यही हाल मनुष्य का है l
4 December 2023
WISDOM -----
लघु कथा ---- खडाऊं पहन कर पंडित जी मंदिर की ओर चले l कदम बढ़ने के साथ खडाऊं से भी खट -खट का स्वर निकल रहा था l पंडित जी को यह आवाज पसंद न आई l वह एक स्थान पर खड़े होकर खडाऊं से पूछने लगे ----" अच्छा यह तो बताओ कि पैरों के नीचे इतनी दबी रहने पर भी तुम्हारे स्वर में कोई अंतर क्यों नहीं आया ? " खडाऊं ने पैरों के नीचे दबे -दबे ही पंडित जी की जिज्ञासा शांत करते हुए कहा ---- " मैं तो जीने की इच्छुक हूँ पंडित जी , इस संसार में ऐसे लोगों की कमी नहीं जो दूसरों के दबाव में आकर अपना स्वर मंद कर लेते हैं , उन्हें तो जीवित अवस्था में भी मैं मरा हुआ मानती हूँ l "
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