1 August 2022

WISDOM ----

   अनमोल  वचन ------ पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ----- ' उच्च  मन  वाले  मनस्वी  मनुष्य   मर  भले  ही  जाएँ,  परन्तु  वे  कभी  भी  कृपणता   तथा  कायरता  नहीं  करते   l  '    

 आचार्य श्री  लिखते  हैं ----- 'ओछे  मनुष्य    वे  नहीं  जो  वजन , लम्बाई   या  आयु  की   द्रष्टि  से  छोटे  हैं   l  जिनकी  विचारणा   तथा  आकांक्षा   उथली  और  बचकानी  है  ,  जो  गए -गुजरे  लोगों   की  तरह  सोचते   और  घटिया  आकांक्षाएं   पूरी  करने  के  लिए  ओछे  हथकंडे  अपनाते  हैं  ,  उन्हें  कोई  चतुर  भले  ही  कह  ले  ,  पर  वस्तुत:  वे   व्यक्तित्व  की  द्रष्टि  से   बौने  और  अविकसित  लोगों  की  श्रेणी  में  ही   माने  जा  सकेंगे   l  "

  आचार्य श्री  लिखते  हैं ----- "  मानव  जीवन  एक  सौभाग्य  है  ,  जो  बार -बार  नहीं  मिलता  l  विडंबना  यही  है  कि   इसका  सदुपयोग  करने  वाले   कम  ही  होते  हैं   l  जो  जीवन  का  समुचित  उपयोग  करना  जानते  हैं  ,  वे  क्रमिक    गति  से    ऊँचे  उठते  हुए    चरम     ध्येय   को  अंतत: प्राप्त  कर  के  ही  रहते  हैं   l  "

WISDOM-------

  लघु  कथाएं  हमें  शिक्षा  तो  देती  हैं  लेकिन   लोभ , लालच ,  कामना  , तृष्णा , महत्वाकांक्षा  मनुष्य  के  मन  पर  इस  तरह  हावी  हैं   कि  वह  परिणाम  सोचता  ही  नहीं  है   l    फूट  चाहे  परिवार  में  हो , समाज  या  संस्था  कहीं  भी  हो  ,  यह  हमेशा  दुःखदायी   होती  है   l  इस  फूट  का  फायदा   'तीसरा  ' कब  और  कैसे  उठा  लेता  है   ,  जब  तक  यह  समझ  आता  है ,  बहुत  देर   हो   चुकी  होती  है   l   इसी  सत्य  को  समझाने  वाली  कथा  है ------        1 .  दो  बिल्लियाँ   मिलकर  किसी  घर  से  एक  रोटी    चुरा  लाई  l  बँटवारे  का  फैसला  नहीं  हो  रहा  था   l  वो  फैसला  कराने  बन्दर  के  पास  पहुंची   l  बन्दर  ने  रोटी  के  दो  टुकड़े  किए   l  दोनों  को  तराजू  के  दो  पलड़ों  में  रखा  l  जो  भारी  था   उसमें  से  एक  बड़ा  टुकड़ा  तोड़कर  मुँह  में  रख  लिया  ,  अब  दूसरा  भारी  हो  गया   तो  उसमें  से  भी  एक  टुकड़ा  तोड़कर   मुँह  में  रख  लिया   l  इसी  प्रकार  दो -तीन  बार  में    सारी  रोटी  खा  डाली   l  रोटियों  का  चूरा  तराजू  में  पड़ा  था   l  बिल्लियों  ने  कहा  --- इसी  को  हमें  दे  दो   l  बन्दर  ने  कहा  ---  मेरी  इतनी  मेहनत  का    कुछ  तो  मेहनताना  मिलना  चाहिए   l  यह  कहकर  उसने  बचे  हुए    चूरे   को  भी  खा  लिया   l   बिल्लियाँ  इतना  गंवाने  के  बाद    समझीं  कि    अपना  झगड़ा  आपस  में  ही  निपटा  लेना  चाहिए   l  

2 .    वर्षा  की  फुहारों  से  धरती  में  से   अनेक  पौधे  उग  आए  l  दुर्भाग्य  से   सब  पौधे   आपस आपस  में  ही  लड़  पड़े   और  उनमें  से  हर एक  अपने  को    ज्यादा  महत्वपूर्ण  और  उपयोगी  बताने  लगा   l  विवाद  बढ़ता  गया  l  छह  माह  ऐसे  ही   लड़ते -झगड़ते  व्यतीत  हो  गए   l  ग्रीष्म   ऋतु  का  आगमन  हुआ   तो  उसके  ताप  से  सारे  पौधे  सूख  गए   और  जब  बिछड़ने  की   घड़ी  आई   तो  उन्हें  अनुभव  हुआ   कि   उन्होंने  पूरी  उम्र   यों  ही  लड़ने -झगड़ने   में  व्यतीत  कर  दी   l  दुःखी   पौधों  ने  संकल्प  लिया   कि  यदि  पुन:  अवसर  मिला   तो  प्रेम पूर्वक   रहेंगे   l  तब  से  पौधे   हँसते - खेलते   सहयोग -सहकार  से  रहते  हैं  ,  मात्र  इनसान  ही  इस  छोटी  सी  बात  को  समझ  नहीं  पाता   l