संत स्वामी करपात्री जी महाराज ने ' रामायण मीमांसा ' नामक ग्रन्थ की रचना की l ग्रन्थ को प्रकाशन के लिए उन्होंने प्रेस में भेज दिया l बहुत दिनों तक ग्रन्थ प्रकाशित न होने पर उन्होंने राधेश्याम खेमका जी से इसका कारण पूछा l उन्होंने उत्तर दिया ---- "महाराज , ग्रन्थ तो तैयार है , लेकिन कुछ लोगों की भावना है कि उसमे आपका एक सुंदर चित्र छापा जाये l चित्र के तैयार होने में विलंब हो जाने के कारण ही ग्रन्थ अब तक तैयार नहीं हो पाया है l " स्वामी जी ने तुरंत प्रतिवाद करते हुए कहा --- " ख़बरदार ! ऐसी गलती नहीं करना l मेरी पुस्तक भगवान श्रीराम के पावन चरित्र पर लिखी गई है l उसमें मेरा नहीं , बल्कि भगवान श्रीराम का चित्र होना चाहिए l "खेमका जी ने कहा --- " ठीक है , जैसा आप कहते हैं , वैसा ही होगा l " कुछ क्षण मौन रहकर करपात्री जी बोले ---- " संन्यासी को अपनी प्रशंसा और प्रचार से बचना चाहिए l समाज के लिए अच्छे विचार उपयोगी हैं , न कि मेरे चित्र l भगवान श्रीराम का चित्र देने से ही ग्रन्थ की गुणवत्ता बढ़ेगी l "
12 September 2022
WISDOM ---
यहूदी धर्मगुरु रबाई वुल्फ के यहाँ चोरी हुई और उसमे मात्र चाँदी का एक मूल्यवान पात्र ही चोरी हुआ l रबाई की पत्नी को घर में काम-काज करने वाली नौकरानी पर शक हुआ l उससे पूछताछ करने पर जब कुछ पता न चला तो रबाई की पत्नी ने यह मामला यहूदी धर्म न्यायालय में सुपुर्द करने का निर्णय लिया l पत्नी को धर्म न्यायालय जाने की तैयारी करते देख रबाई ने भी वकील का चोगा पहनकर जाने की तैयारी की l पत्नी ने पूछा ---- " वे किस हेतु तैयार हो रहे हैं ? " तो रबाई ने उत्तर दिया --- " देवी ! मैं अवगत हूँ कि तुम्हारा संदेह घर की नौकरानी पर है , परन्तु जब तक अपराध सिद्ध न हो जाये , तब तक प्रत्येक व्यक्ति को समुचित न्याय पाने का अधिकार है l मेरी पत्नी होने के कारण आपको सरकारी वकील मिल जायेगा , परन्तु अशिक्षित नौकरानी एक वकील का शुल्क शायद न दे सके , इसलिए मैं उसकी ओर से जिरह करने जा रहा हूँ , ताकि हमारे परिवार की धर्म और न्याय की परंपरा अक्षुण्ण रहे l "