18 April 2020

WISDOM ---- जीवन में धन जरुरी है लेकिन धन का अहंकार अनर्थ उत्पन्न करता है

  धन  जीवन  में  जरुरी  है  ,  लेकिन  लोभ  की  कोई  सीमा  नहीं   है   l   कोई  व्यक्ति  पचास  व्यक्तियों  से  अधिक  धनी   है  तो  भी  उसके  मन  में  कसक  होगी  कि   दूसरे  पचास  व्यक्ति  उससे  कहीं  अधिक  संपन्न  हैं  l   उसे  सबसे  आगे  निकल  जाने  की  आकुलता  होती  है  ,  इसलिए  हर  उचित , अनुचित  और  अनैतिक  तरीके  से  वह  धन  - सम्पदा  एकत्र  कर  लेता  है  l
   धन - संपन्न  व्यक्ति  होने  का  अहंकार   ,  उसके  मानवीय  गुणों  को  कम  कर  देता  है   l   क्योंकि  अहंकार  सभी  जगह  पर  अपना  आधिपत्य  स्थापित  करना  चाहता  है  l
  कहते  हैं  सद्गुणों  में  विशेष  आकर्षण  होता  है  इसलिए  बुरे  से  बुरा  व्यक्ति  भी  समाज  में  स्वयं  को  बहुत  शालीन ,  समाज सेवी , परोपकारी   सिद्ध  करना  चाहता  है  l   इसलिए  ऐसे  लोगों  का  दोहरा  व्यक्तित्व  होता  है  -- एक  समाज  के  सामने  बहुत  दानी , परोपकारी ,  आदर्श  व्यक्तित्व  और  दूसरी  परदे  के  पीछे   जहाँ  अति  धन  कमाने  की  लालसा  उसे  नैतिक  और  मानवीय  मूल्यों  से  गिरा  देती  है  l   संसार  की  अधिकांश  समस्याएं  ऐसे  ही  लोगों  की  अधिकता  से  उत्पन्न  होती  हैं  l
 संपन्नता   जिस  गति  से  बढ़ती  है  ,  फिर  व्यक्ति  हो  या  संस्था   उसका  अहंकार  भी  उतना  ही  बढ़ता  जाता  है  l   धन  की  ताकत  बहुत  होती  है ,  उसके  बल  पर  वे  किसी  भी  देश  की  व्यवस्था  को  अपने  अनुरूप   नीति     बनाने  पर विवश  कर  देते  हैं  l   यही  वजह  है  आज  संसार  में  शोषण  व  अन्याय  में  वृद्धि  हुई  है   l 

WISDOM ----- मनुष्य चैन से जीना चाहता है

  मनुष्य  जीवन  अनेक   समस्याओं  से  घिरा  हुआ  है  ,  बीमारी  है ,  दुःख  है   और  सबसे  बड़ा  दुःख  है --- मृत्यु  l   शेष  सारे  दुःख  तो  उसकी  छाया    में  हैं    l    मनुष्य  अपने  मिटने  के  डर   से  भयभीत  है   l   इसलिए   प्रत्येक  सांसारिक  प्राणी   मृत्यु  को   भुलाकर   अपनी  जिंदगी  अपने  हिसाब  से  चैन  से  जीना  चाहता  है   l   मनुष्य ,   ईश्वर  की  भी  उनके  सौम्य  रूप  में ,  सुन्दर  छवि  की  उपासना   करता  है  l
        गीता  में  भगवान   ने  अर्जुन  को  अपने  विराट  रूप  के  दर्शन  दिए  --' सब  जन्म    मुझ    से  पाते  हैं   ,  फिर  लौट  मुझ    में   ही   आते  है  l '   लेकिन  परमात्मा  के  विकराल  रूप  का  कोई  ध्यान  नहीं  करना  चाहता  l
  जीवन  जीने  की  स्वतंत्रता  बहुत  बड़ी  स्वतंत्रता  है  ,  मनुष्य  हर  पल  मृत्यु  को  अपने  आसपास  देखना  नहीं  चाहता  l   इसलिए  कोई  यह  कह  कर  कि  हम  तुम्हे  मृत्यु  से  बचाएंगे ,  व्यक्ति  पर  अपना  नियंत्रण  रखना  चाहे  ,  तो     ऐसी  स्थिति  में  लोग  मानसिक  व्याधियों  से  घिरने  लगते  हैं  , आक्रामक  हो  जाते  हैं  l