चंपारण आंदोलन के लिए गाँधी जी के पहुँचने पर जो माहौल बना , उससे राजेंद्र बाबू ने अपनी निजी वकालत बंद कर दी एवं कई माह तक नील की खेती करने वाले अंग्रेज जमींदारों द्वारा गरीब किसानों पर किये जाने वाले अत्याचारों विरुद्ध लोगों के बयान लिखने लगे l गाँधी जी के व्यक्तित्व से प्रभावित होकर राजेंद्र बाबू ने अपने आपको पूरी तरह उन्हें सौंप दिया l उनने गाँधी जी के साथ बैठकर ' तीन कठिया ' इस अन्याय -मूलक प्रणाली को सदा के लिए बंद करा दिया l चंपारण के किसानों की कायापलट गई और वह क्षेत्र अंग्रेजों के जाने तक एक संमृद्ध क्षेत्र के रूप में विकसित हो गया l
26 February 2021
WISDOM ------
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी कहते हैं ---- ' हम में ' न ' कहने की हिम्मत होनी चाहिए l गलत का समर्थन नहीं करेंगे , उसमें सहयोग नहीं देंगे l ' लोभ - लालच , कामनाएँ , तृष्णा , अनुचित महत्वाकांक्षा ऐसी कमजोरियाँ हैं जिसने मनुष्य में साहस के गुण को समाप्त कर दिया है l लोगों पास करोड़ों , अरबों की संपदा होती है , फिर भी वे स्वाभिमान से नहीं जीते , कठपुतली बन कर रहते हैं l आचार्य श्री कहते हैं --- साहस और स्वाभिमान से जीने लिए हमारा पथ सच्चाई का होना चाहिए l --------- एक राक्षस था l उसने एक आदमी को पकड़ा l उसने उसको खाया नहीं , डराया भर और बोला ------- ' मेरी मर्जी के काम में निरंतर लगा रह , मेरे कहे अनुसार चल , यदि ढील की तो खा जाऊँगा l ' वह आदमी जब तक बस चला , तब तक काम करता रहा l जब थक कर चूर - चूर हो गया और काम सामर्थ्य से बाहर हो गया तो उसने सोचा कि तिल - तिलकर मरने से तो एक दिन पूरी तरह मरना अच्छा है l उसने राक्षस से कह दिया ----- " जो मरजी हो सो करे , इस तरह मैं नहीं करते रह सकता l " राक्षस ने सोचा काम का आदमी है l थोड़ा - थोड़ा काम बहुत दिन तक करता रहे तो क्या बुरा है ? एक दिन खा जाने पर तो उस लाभ से हाथ धोना पड़ेगा , जो उसके द्वारा मिलता रहता है l राक्षस ने समझौता कर लिया और खाया नहीं , थोड़ा - थोड़ा काम करते रहने की बात मान ली l ' चाहे कैसी भी परिस्थिति आएं , जूझने का साहस होना चाहिए l