24 September 2022

WISDOM ---

  राजा  भीमदेव  गुजरात  की  एक  रियासत  के  शासक  थे  l  भीमदेव  का  पुत्र  मूलराज  प्रतिभाशाली  होने  के  साथ -साथ  दयालु  प्रवृत्ति  का  भी  था  l  एक  बार  राज्य  में  वर्षा  न  होने  से  किसानों  के  खेत  सुख  गए  ,  इसलिए  वे  राजकोष  में  लगान  जमा  नहीं  कर  पाए  l  बदले  में  राजा  के  कर्मचारी  गांवों  में  पहुंचे  और  किसानों  के  घरों  से  उनका  सामान  उठा  लाये  l  किसी  दुःखी  किसान  से  जब  मूलराज  को  यह  पता  चला  तो  उसका  ह्रदय  द्रवित  हो  उठा  l  उन्ही  दिनों  मूलराज  घुड़सवारी  सीख  रहा  था  l  वह  जब  घुड़सवारी  में  पारंगत  हो  गया  तो  राजा  ने  उसकी  कला  को  परखा  l  राजा  उसकी  घुड़सवारी  के  करतब  देखकर  प्रसन्न  हो  उठे  और  बोले ---" बेटा  !  तुम्हे  मुंहमांगा  इनाम  मिलेगा l  बोलो  तुम  क्या  चाहते  हो  ? "  राजकुमार  ने  कहा --- "पिताजी  ! यदि  आप  मुझसे  प्रसन्न  हैं  और  मुझे  कुछ  देना  चाहते  हैं  तो  जिन  किसानों  की  संपत्ति  लगान  न  देने  के  कारण  जब्त  कर  ली  गई  है  , उसे  तुरंत  वापस  करने  का  आदेश  देने  की  कृपा  करें  l "  राजा  अपने  पुत्र  की  दयालुता  देखकर  गदगद  हो  उठे  और  उन्होंने  उसी  समय  किसानों  की  जब्त  संपत्ति  वापस  करने  के  आदेश  दे  दिए  l   

WISDOM ----

 रामकृष्ण  परमहंस  के  पास  नरेंद्र (स्वामी विवेकानंद )  को  आते  काफी  अवधि  हो  चुकी  थी  l  एक  दिन  वे  अपने  शिष्यों  से  बोले --- " अब  तक  तो  नरेंद्र  के  पास  सब  कुछ  था  ,  पर  अब  माँ  इसे  बहुत  दुःख  देंगी  l  क्यों ? क्योंकि  उन्हें  इसका  विकास  करना  है  l " नरेंद्र  को  काफी  दुःख -वेदनाएं  सहन  करनी  होंगी  l  तभी  वह  लोक -शिक्षण  हेतु  गढ़  पायेगा  अपने  आपको  l  उन्होंने  अपने  शिष्यों  को  बताया  कि  दुःख  ही  भाव -शुद्धि  करते  हैं  ,  दुःख  ही  व्यक्ति  को  अन्दर  से  मजबूत  बनाते  हैं  l  नरेंद्र  के  ऊपर  दुःखों  की  बाढ़  आ  गई  l  सब  कुछ  छिन  गया  l  रोटी  के  लिए  तरस  गए  l  कई  गहरी  पीड़ाएं  एक  साथ  आईं  l  उनने  अपनी  बहन  को  आत्महत्या  करते  देखा ,  माँ  का  रुदन  देखा  l  रामकृष्ण  उनकी  हर  पीड़ा  में  दुःख  भी  व्यक्त  करते  थे ,  पर  जानते  थे ,  यह  सब  जरुरी  है  l   इसी  ने  नरेंद्र  को  स्वामी  विवेकानंद  बनाया  l