राजा भीमदेव गुजरात की एक रियासत के शासक थे l भीमदेव का पुत्र मूलराज प्रतिभाशाली होने के साथ -साथ दयालु प्रवृत्ति का भी था l एक बार राज्य में वर्षा न होने से किसानों के खेत सुख गए , इसलिए वे राजकोष में लगान जमा नहीं कर पाए l बदले में राजा के कर्मचारी गांवों में पहुंचे और किसानों के घरों से उनका सामान उठा लाये l किसी दुःखी किसान से जब मूलराज को यह पता चला तो उसका ह्रदय द्रवित हो उठा l उन्ही दिनों मूलराज घुड़सवारी सीख रहा था l वह जब घुड़सवारी में पारंगत हो गया तो राजा ने उसकी कला को परखा l राजा उसकी घुड़सवारी के करतब देखकर प्रसन्न हो उठे और बोले ---" बेटा ! तुम्हे मुंहमांगा इनाम मिलेगा l बोलो तुम क्या चाहते हो ? " राजकुमार ने कहा --- "पिताजी ! यदि आप मुझसे प्रसन्न हैं और मुझे कुछ देना चाहते हैं तो जिन किसानों की संपत्ति लगान न देने के कारण जब्त कर ली गई है , उसे तुरंत वापस करने का आदेश देने की कृपा करें l " राजा अपने पुत्र की दयालुता देखकर गदगद हो उठे और उन्होंने उसी समय किसानों की जब्त संपत्ति वापस करने के आदेश दे दिए l
24 September 2022
WISDOM ----
रामकृष्ण परमहंस के पास नरेंद्र (स्वामी विवेकानंद ) को आते काफी अवधि हो चुकी थी l एक दिन वे अपने शिष्यों से बोले --- " अब तक तो नरेंद्र के पास सब कुछ था , पर अब माँ इसे बहुत दुःख देंगी l क्यों ? क्योंकि उन्हें इसका विकास करना है l " नरेंद्र को काफी दुःख -वेदनाएं सहन करनी होंगी l तभी वह लोक -शिक्षण हेतु गढ़ पायेगा अपने आपको l उन्होंने अपने शिष्यों को बताया कि दुःख ही भाव -शुद्धि करते हैं , दुःख ही व्यक्ति को अन्दर से मजबूत बनाते हैं l नरेंद्र के ऊपर दुःखों की बाढ़ आ गई l सब कुछ छिन गया l रोटी के लिए तरस गए l कई गहरी पीड़ाएं एक साथ आईं l उनने अपनी बहन को आत्महत्या करते देखा , माँ का रुदन देखा l रामकृष्ण उनकी हर पीड़ा में दुःख भी व्यक्त करते थे , पर जानते थे , यह सब जरुरी है l इसी ने नरेंद्र को स्वामी विवेकानंद बनाया l