25 October 2020

WISDOM -----

  रामकृष्ण  परमहंस  काली  के  उपासक  थे   l   अनेक  दिन  बीत  गए  ,  वे  रोज  रोते  l   घंटों  पूजा  करते  l   एक  दिन  क्रोध   में  आकर  बोले  ---- " माँ  !  इतने   दिन  से  बुला  रहा  हूँ  l   तू  आती  ही  नहीं   l   या  तो  तू  प्रकट  हो   या  मैं  अप्रकट  होता  हूँ  l   या  तो  तू  रहे  या  मैं  मिटता  हूँ  l "  तलवार  हाथ  में  ले  ली   l   गरदन   पर  चलाने   वाले  ही  थे   कि   माँ  प्रकट  हो  गईं  l   मूर्ति  के  स्थान  पर  साक्षात्  माँ  विराजमान  थी   l   हँसती -- खिलखिलाती   सौंदर्य  की  प्रतिमूर्ति   माँ  काली   l   तलवार  फर्श  पर  गिर  गई   , वे  छह  दिन  तक  बेहोश  पड़े  रहे   l   सभी  भक्त  परेशान   l   छह  दिन  बाद  जब  होश  आया   तो  पहली  बात   जो  उनने  कही  ,  वह  यही   कि   इतने  दिन  तो  माँ  तूने  बेहोश  रखा  , अब   जब  छह  दिन  होश   में  रहा   तो  फिर  बेहोशी   में  क्यों  भेजती  है  !   तू  मुझे  फिर  से  बुला  ले  l   जा  मत ,  रुक  जा  l  यह  उनकी  पहली  समाधि   थी   l