27 August 2021

WISDOM -----

  समर्थ  गुरु  रामदास  सतारा  जा  रहे  थे   l   मार्ग  में  उनका  शिष्य   भोजन  लेने  पास  के  गाँव  में  गया   l  उसे  लगा  कि   रास्ते  में  देर  हो  सकती  है  तो  खेत  से  चार  भुट्टे  तोड़  लाया  l  उसने   भुट्टों   को   भूनकर   स्वामी जी  को  दिया  l   धुआँ   उठता  देख  खेत  का  मालिक  भागा -भागा  आया   और  समर्थ  स्वामी  के  हाथ  में  भुट्टे  देखकर  उन्हें  ही   डंडे  से   मारने  लगा   l  शिष्य  कुछ  बोलता  तो  उसे  चुप  कर  समर्थ  गुरु  ने   मार  खा  ली   l   दूसरे  दिन  वे  सतारा  पहुंचे   l   उनकी  पीठ  पर  डंडे  के  निशान  थे   l   शिष्य  ने  भी  वहां  पहुंचकर  सारी   घटना  बता  दी   l   छत्रपति  तक  यह  विवरण  पहुंचा   l   उनने  सेनानायक  से  पता  लगवा  लिया  कि   यह  अपराध  किसके  द्वारा  हुआ  है   l   अभी  तक  समर्थ  गुरु  रामदास  कुछ  बोले  न  थे   l   छत्रपति   शिवाजी    गुरु  को  प्रणाम  करने  आये  तो   वह  खेत  का  मालिक  भी  पीछे -पीछे  लाया  गया   l   शिवाजी  ने  पूरे   राज्य  की  ओर   से  क्षमा  मांगते  हुए  पूछा  ----  " गुरुवर  !  इसे  क्या  दंड  दूँ   ? "  खेत  का  मालिक  गुरु  के  चरणों  में  जा  गिरा  l  समर्थ  बोले  ---- " इसने  हमारे  धैर्य  और  सहन शक्ति  की  परीक्षा  ली   l   इसने  अपना  कर्तव्य  निभाया  है   l   इसे  दंड  न  देकर   चार  भुट्टों  का  हरजाना    नगद  राशि  के  रूप  में   तथा  एक  कीमती  वस्त्र   देकर  सम्मानित  करना  चाहिए  l  "  न्याय  का  यह  विलक्षण  रूप  देखकर   छत्रपति  गुरु  के  चरणों  में  झुक  गए  l  

WISDOM ------

   कहते  हैं -- जो  ' महाभारत '   में  है   वही  इस  धरती  है   l  व्यक्ति  अपने  संस्कार  के  अनुरूप    ही  उससे  सीखता  है   l  महाभारत  का  प्रसंग  है  ---- दुर्योधन  के    गुरु  द्रोणाचार्य  से    ऐसा  कहने  पर  कि   कौरव  पक्ष  के   के  अनेक  वीर  युद्ध  में  मारे  गए  लेकिन  पांडव  पक्ष  का  ऐसा  कोई  नुकसान  नहीं  हुआ   ,  कहीं  ये  आपका  अर्जुन  के  प्रति  मोह  तो  नहीं   ?   तब  गुरु  द्रोणाचार्य  ने  चक्रव्यूह  की  रचना  की    , इस  चक्रव्यूह  में  भगवान  कृष्ण  की  बहन   सुभद्रा  और  अर्जुन  के  पुत्र  अभिमन्यु  को  सात  महारथियों  ने  मिलकर   मार  डाला   l   आसुरी  प्रवृति  के  लोग   इसी  तरह   कभी  जाति   के  आधार  पर  , कभी  धर्म  के  आधार  पर  ,  कभी  अपनी  विकृत  मानसिकता  के  कारण  ऐसे  ही  कलियुगी  चक्रव्यूह  रचते  हैं   l   विज्ञान   के  आविष्कारों  ने   और  संवेदनहीन  ज्ञान  ने  इन  चक्रव्यूह  का  घेरा  बहुत  बड़ा  कर  दिया  है   और  धनवानों  के  लालच  व  महत्वाकांक्षा  ने   इस  घेरे  को  मजबूत  कर  दिया  है   l     कलियुग  में  दुर्बुद्धि  का  प्रकोप  होता  है  l  पहले  घातक  हथियारों  का  निर्माण  होता  था   असुरता  के  अंत  के  लिए   लेकिन  अब   संसार  पर  अपना  वर्चस्व  कायम  करने  के  लिए ,  लोगों  का  दिल  जीतकर  नहीं  ,  उन्हें  डरा - धमका  कर  अपने  नियंत्रण  में  रखने  के  लिए   घातक  हथियार  बनते  हैं  ----- फिर  जब  बन   गए  तो  उनको   बेचना  भी  जरुरी  है  ----- अब  जब   तक  उनका  प्रयोग  नहीं  होगा  ,  तब  तक  और  ज्यादा  कैसे  बिकेंगे   ?  लाभ  कैसे  होगा   ?  यह  चक्रव्यूह   महाभारत  की  तरह  किसी  एक  दिन  का  युद्ध  नहीं  है   l   यह  तो  तब  तक  चलेगा   जब  तक  लोगों  के  हृदय  में  संवेदना  नहीं  जागेगी   l  जब  मनुष्य  में  विवेक  का  जागरण  होगा ,  सद्बुद्धि  आएगी  तभी  यह  चक्रव्यूह  टूटेगा     l    शक्ति  का  सदुपयोग  नहीं  होगा  तो  मानवता  को  नष्ट  होने  में  देर  नहीं   लगेगी  l