समर्थ गुरु रामदास सतारा जा रहे थे l मार्ग में उनका शिष्य भोजन लेने पास के गाँव में गया l उसे लगा कि रास्ते में देर हो सकती है तो खेत से चार भुट्टे तोड़ लाया l उसने भुट्टों को भूनकर स्वामी जी को दिया l धुआँ उठता देख खेत का मालिक भागा -भागा आया और समर्थ स्वामी के हाथ में भुट्टे देखकर उन्हें ही डंडे से मारने लगा l शिष्य कुछ बोलता तो उसे चुप कर समर्थ गुरु ने मार खा ली l दूसरे दिन वे सतारा पहुंचे l उनकी पीठ पर डंडे के निशान थे l शिष्य ने भी वहां पहुंचकर सारी घटना बता दी l छत्रपति तक यह विवरण पहुंचा l उनने सेनानायक से पता लगवा लिया कि यह अपराध किसके द्वारा हुआ है l अभी तक समर्थ गुरु रामदास कुछ बोले न थे l छत्रपति शिवाजी गुरु को प्रणाम करने आये तो वह खेत का मालिक भी पीछे -पीछे लाया गया l शिवाजी ने पूरे राज्य की ओर से क्षमा मांगते हुए पूछा ---- " गुरुवर ! इसे क्या दंड दूँ ? " खेत का मालिक गुरु के चरणों में जा गिरा l समर्थ बोले ---- " इसने हमारे धैर्य और सहन शक्ति की परीक्षा ली l इसने अपना कर्तव्य निभाया है l इसे दंड न देकर चार भुट्टों का हरजाना नगद राशि के रूप में तथा एक कीमती वस्त्र देकर सम्मानित करना चाहिए l " न्याय का यह विलक्षण रूप देखकर छत्रपति गुरु के चरणों में झुक गए l
27 August 2021
WISDOM ------
कहते हैं -- जो ' महाभारत ' में है वही इस धरती है l व्यक्ति अपने संस्कार के अनुरूप ही उससे सीखता है l महाभारत का प्रसंग है ---- दुर्योधन के गुरु द्रोणाचार्य से ऐसा कहने पर कि कौरव पक्ष के के अनेक वीर युद्ध में मारे गए लेकिन पांडव पक्ष का ऐसा कोई नुकसान नहीं हुआ , कहीं ये आपका अर्जुन के प्रति मोह तो नहीं ? तब गुरु द्रोणाचार्य ने चक्रव्यूह की रचना की , इस चक्रव्यूह में भगवान कृष्ण की बहन सुभद्रा और अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु को सात महारथियों ने मिलकर मार डाला l आसुरी प्रवृति के लोग इसी तरह कभी जाति के आधार पर , कभी धर्म के आधार पर , कभी अपनी विकृत मानसिकता के कारण ऐसे ही कलियुगी चक्रव्यूह रचते हैं l विज्ञान के आविष्कारों ने और संवेदनहीन ज्ञान ने इन चक्रव्यूह का घेरा बहुत बड़ा कर दिया है और धनवानों के लालच व महत्वाकांक्षा ने इस घेरे को मजबूत कर दिया है l कलियुग में दुर्बुद्धि का प्रकोप होता है l पहले घातक हथियारों का निर्माण होता था असुरता के अंत के लिए लेकिन अब संसार पर अपना वर्चस्व कायम करने के लिए , लोगों का दिल जीतकर नहीं , उन्हें डरा - धमका कर अपने नियंत्रण में रखने के लिए घातक हथियार बनते हैं ----- फिर जब बन गए तो उनको बेचना भी जरुरी है ----- अब जब तक उनका प्रयोग नहीं होगा , तब तक और ज्यादा कैसे बिकेंगे ? लाभ कैसे होगा ? यह चक्रव्यूह महाभारत की तरह किसी एक दिन का युद्ध नहीं है l यह तो तब तक चलेगा जब तक लोगों के हृदय में संवेदना नहीं जागेगी l जब मनुष्य में विवेक का जागरण होगा , सद्बुद्धि आएगी तभी यह चक्रव्यूह टूटेगा l शक्ति का सदुपयोग नहीं होगा तो मानवता को नष्ट होने में देर नहीं लगेगी l