29 May 2023

WISDOM -----

   श्रीमद् भगवद्गीता  में  भगवान  श्रीकृष्ण  अर्जुन  को  अपनी  विभूतियों  का  विवरण  देते   हैं  l   श्रीकृष्ण  मृत्यु  के  अधिपति  ' यम ' को  अपना  स्वरुप  कहते  हैं   और  इन्हें  शासन  करने  वालों  में  श्रेष्ठतम  मानते  हैं  l    भगवान  श्रीकृष्ण  अन्तर्यामी  थे  ,  किसी  भी  शासन  प्रणाली  का  भूत , वर्तमान  , भविष्य  उनसे  छिपा  नहीं  था  ,  उनकी  दिव्य  द्रष्टि  सबके  गुण -दोष  देख  रही  थी  l  त्रेतायुग  में   लंका  का  राजा  रावण  था  , उसका  शासन  का  यह  तरीका  था  कि  वह  ऋषि -मुनियों  पर  बहुत  अत्याचार  करता  था  , उनके  यज्ञ , हवन पूजन  को  नष्ट  कर  देता  , उनका  जीवन  मुश्किल  कर  दिया  था  l  शनि , राहू ,केतु  सबको  उसने  बंदी  बना  लिया  था l  रावण  बहुत  बड़ा  तपस्वी  था  , शिवजी  को  उसने  प्रसन्न  तो  किया , इसके  फलस्वरूप  उसे  सोने  की  लंका  मिली  , लेकिन   भगवान  की  कृपा  नहीं  मिली   l  वह  अत्याचारी  , अहंकारी  था  , उसके  अहंकार  की  अति  थी  -सीता -हरण  l  इस  कारण  एक  लाख  पूत , सवा  लाख  नाती  समेत    समाप्त  हो  गया  l  द्वापरयुग  में  भगवान  श्रीकृष्ण  द्वारकाधीश  थे  l  वहां  धन -वैभव  बहुत  था  , लोग  भोग - विलास  में  डूब  गए  l  अति  का  नशा  करने  के  कारण  और  गांधारी  के  शाप  के  कारण  वे  सब  आपस  में  ही  लड़  मरे  और  द्वारका  समुद्र  में  डूब  गई  l  भगवान  कहते  हैं  ---सब  जन्म  मुझी  से  पाते  हैं  , फिर  लौट  मुझ में  आते  हैं  l  उन्हें  तो  कलियुग  का   और  आने  वाले  हजारों , लाखों  वर्षों  का  ज्ञान  था  l  उन्हें  पता  था  कि  काम , क्रोध , लोभ , मोह , तृष्णा , महत्वाकांक्षा  में  लिप्त  संसार  में  कभी  स्वर्ण युग  होगा ,  कभी   अत्याचार , अन्याय  भी  होगा   इसलिए  उन्होंने   पृथ्वी    के  किसी  भी  शासन  को  अच्छा  नहीं  बताया  l   भगवान  ने  गीता  में   मृत्यु  के  देवता  यम  के  शासन  को  सर्वश्रेष्ठ  बताया  है  l  यम  के  शासन  में  कोई  खोट  नहीं , कोई  शिथिलता  नहीं  l  यह  सबके  लिए  समान  है  l  यम  के  शासन  में  अमीर , गरीब , छोटे -बढ़े , ऊँच -नीच , शहरी -ग्रामीण , राजा -प्रजा , सुन्दर -कुरूप , धर्म , जाति  किसी  भी  आधार  पर  कोई  भेदभाव  नहीं  है  l  जब  जिसकी  आ  गई  उसे  जाना  पड़ता  है  , फिर  संसार  की  कोई  ताकत  उसे  एक  पल  के  लिए  भी  नहीं  रोक  सकती   l  यम  के  शासन  में  कानून  सबके  लिए  समान  है  , कोई  भेदभाव  नहीं  l  वहां  कोई  चापलूसी , विशेष  सुविधा  नहीं  चलती  इसलिए  भगवान  ने  यमदेव  को  अपना  स्वरुप  बताया  है  l