27 October 2023

WISDOM ----

 पं . श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ----- " समय  परिवर्तनशील  है  किन्तु  किसी  भी  तरह  के  समय  को  परिवर्तित  करना  हमारे  हाथ  में  नहीं  होगा  ,  यह  परिवर्तन  स्वत:  होता  है  ,  जिसे  हमें  स्वीकार  करना  होता  है   जिस  तरह  हम  रात्रि  को  दिन  में  नहीं  बदल  सकते  ,  लेकिन  विद्युत  के  माध्यम  से   बल्ब  जलाकर  अंधकार  को  दूर  कर  सकते  हैं  ,  उसी  तरह   हम  जीवन  में  दुःख , कष्ट , पीड़ा  , अपयश , उपेक्षा , तिरस्कार   आदि  के  आने  पर   इन्हें  तुरंत  दूर  नहीं  कर  सकते  ,  लेकिन  इन  परिस्थितियों  में   ईश्वर  का  नाम  स्मरण  करते  हुए  और  शुभ  कर्म  ,  तप ( ईमानदारी  से  कर्तव्य पालन  )  कर  के   हम  इनकी  पीड़ा  को  कम  कर  सकते  हैं  और  लाभान्वित  हो  सकते  हैं  l  "  सुख -दुःख  के  चक्र  के  बारे  में  अकबर -बीरबल  का  एक  प्रसंग  है ----- एक  बार  अपने  सभाजनों  के  सामने  सम्राट  अकबर  ने  प्रश्न  किया --- " इस  संसार  में  ऐसा  क्या  है  , जिसको  जान  लेने  के  बाद  सुख  में  दुःख  का  अनुभव  हो    और   दुःख  में  सुख  का  अनुभव  हो  ? "  उनके  इस  प्रश्न  से  सभा  में  सन्नाटा  छ  गया  ,  सभी  की  नजरें  बीरबल  की  ओर  थीं  l   बीरबल  भी  हाजिरजवाब  थे  ,  वे  बोले  ---- " यह  समय  भी  गुजर  जायेगा   l "  बुद्धिमान  बीरबल  के  इस  जवाब  से  अकबर  बहुत  प्रसन्न  हुए  l  समय  गुजर  जाने  की  बात  से   सुखी  व्यक्ति  को  दुःख  का  एहसास   और  दुःखी   व्यक्ति  को  सुख  का  एहसास  होना  स्वाभाविक  है  l