यद्दपि इंग्लैंड को भौतिकता प्रधान देश कहा जाता है , तो भी उसके प्रधानमंत्री चर्चिल की ईमानदारी और देशप्रेम इस उदाहरण से स्पष्ट होता है -----
मि. डब्लू. एच. टामसन ने अपनी पुस्तक ' में मि. चर्चिल का प्राइवेट सेक्रेट्री था ' में लिखा है ------
" मि. चर्चिल को प्रधानमंत्री की हैसियत से जो सुविधाएँ उपलब्ध थीं उनका वे कभी निजी कामों में प्रयोग नहीं करते थे । अगर वह अपनी सरकारी कार को निजी काम के लिए प्रयोग करते थे तो चाहे वह बहुत ही मामूली दूरी तय करें , मुझे यह आदेश था कि मैं चलने से पहले गाड़ी के मोटर में जितने मील अंकित हैं लिख लूँ और फिर वापसी पर लिख लूँ । फिर उन मीलों का विवरण सरकारी गैरेज के अफसर के पास भेज दिया जाता था और वह उनके ( मि. चर्चिल के ) निजी हिसाब में दर्ज करके उनकी कीमत वसूल कर लेता था । कौन सा काम सरकारी है और कौनसा गैर सरकारी इसका निर्णय करने में मि. चर्चिल ने कभी सन्देह का लाभ नहीं उठाया । "
प्रथम विश्व युद्ध के समय उन्होंने गृहमंत्रालय का उत्तरदायित्व बड़ी कुशलता के साथ निबाहा कि लोग दंग रह गये । दूसरे महायुद्ध के समय , देश जब विषम परिस्थितियों और कठिनाइयों के दौर से गुजर रहा था चर्चिल ने अपूर्व कार्य शक्ति और प्रभावशीलता का परिचय दिया । अंततः महायुद्ध में मित्र राष्ट्रों की विजय हुई , उसका अधिकांश श्रेय चर्चिल को ही दिया जाता है ।
चर्चिल की सफलताओं का कारण था उनका आत्मविश्वास । उन जैसा अनुकरणीय व्यक्तित्व शायद ही कोई दूसरा दिखने में आया हो ।
मि. डब्लू. एच. टामसन ने अपनी पुस्तक ' में मि. चर्चिल का प्राइवेट सेक्रेट्री था ' में लिखा है ------
" मि. चर्चिल को प्रधानमंत्री की हैसियत से जो सुविधाएँ उपलब्ध थीं उनका वे कभी निजी कामों में प्रयोग नहीं करते थे । अगर वह अपनी सरकारी कार को निजी काम के लिए प्रयोग करते थे तो चाहे वह बहुत ही मामूली दूरी तय करें , मुझे यह आदेश था कि मैं चलने से पहले गाड़ी के मोटर में जितने मील अंकित हैं लिख लूँ और फिर वापसी पर लिख लूँ । फिर उन मीलों का विवरण सरकारी गैरेज के अफसर के पास भेज दिया जाता था और वह उनके ( मि. चर्चिल के ) निजी हिसाब में दर्ज करके उनकी कीमत वसूल कर लेता था । कौन सा काम सरकारी है और कौनसा गैर सरकारी इसका निर्णय करने में मि. चर्चिल ने कभी सन्देह का लाभ नहीं उठाया । "
प्रथम विश्व युद्ध के समय उन्होंने गृहमंत्रालय का उत्तरदायित्व बड़ी कुशलता के साथ निबाहा कि लोग दंग रह गये । दूसरे महायुद्ध के समय , देश जब विषम परिस्थितियों और कठिनाइयों के दौर से गुजर रहा था चर्चिल ने अपूर्व कार्य शक्ति और प्रभावशीलता का परिचय दिया । अंततः महायुद्ध में मित्र राष्ट्रों की विजय हुई , उसका अधिकांश श्रेय चर्चिल को ही दिया जाता है ।
चर्चिल की सफलताओं का कारण था उनका आत्मविश्वास । उन जैसा अनुकरणीय व्यक्तित्व शायद ही कोई दूसरा दिखने में आया हो ।