पं श्रीराम शर्मा आचार्य का कहना है ---" आत्मविश्वासी के लिए स्वाधीन और स्वावलम्बी होना आवश्यक है l जो कुछ करने से पहले , कुछ कहने से पहले दूसरों की प्रतिक्रिया का ही अनुमान लगाता रहता है , जिसे दूसरों की खुशामद का ध्यान रखना पड़ता है , वह कभी भी आत्मविश्वासी नहीं बन सकता l आत्मविश्वास का एक ही आधार है ---- बोलने में , काम करने में , अपना मार्ग चुनने में , अपना जीवन ढालने में अपनी अंतरात्मा का आदेश प्राप्त करे , अपने दिल और दिमाग के निर्णय पर पहुंचे और फिर जो सही हो उसे करे , उसे कहे l "