संत इमर्सन ने लिखा है ----- " युवावस्था में मेरे अनेक सपने थे l उन्ही दिनों मैंने एक सूची बनाई थी कि जीवन में मुझे क्या - क्या पाना है l इस सूची में वे सारी चीजें थीं , जिन्हे पाकर मैं धन्य होना चाहता था l स्वास्थ्य , सौंदर्य , सुयश , सम्पत्ति , सुख , इसमें सभी कुछ था l इस सूची को लेकर मैं बुजुर्ग संत थॉरो के पास गया और उनसे कहा ---- " क्या इस सूची में मेरे जीवन की सभी उपलब्धियां नहीं आ जातीं हैं ? " उन्होंने मेरी बातों को ध्यान से सुना फिर बोले ---- " मेरे बेटे ! तुम्हारी यह सूची बड़ी सुन्दर है l बहुत विचारपूर्वक तुमने इसे बनाया है l फिर भी तुमने इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात छोड़ दी , जिसके बिना सब कुछ व्यर्थ हो जाता है l " मैंने पूछा ---- " वह क्या है ? " उत्तर में उन अनुभवी वृद्ध संत ने मेरी सम्पूर्ण सूची को बुरी तरह से काट दिया और उसकी जगह उन्होंने केवल एक शब्द लिखा ----- ' शांति l ' वर्तमन स्थिति में पद - प्रतिष्ठा , धन - वैभव सब चाहते हैं , इसी के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं , लेकिन ' शांति ' कोई नहीं चाहता l यही कारण है कि संसार में युद्ध , उन्माद , उत्पीड़न , पर्यावरण प्रदूषण , तनाव , अपराध की अधिकता है और आश्चर्य तो ये है कि लोगों को इसी में आनंद आता है , स्वार्थ और लालच हावी है l इस स्थिति में सुधार चाहने वाले बहुत ही कम लोग हैं l जब ऐसे लोगों की अधिकता होगी जिनके मन शांत हैं , तो वे अपने मन की शांति से आसपास के वातावरण को भी शांतिपूर्ण बना सकेंगे l