13 October 2020

WISDOM -----

   अभय  कुमार  को  जंगल  में  एक  नवजात  शिशु  पड़ा  हुआ  मिला   l   वह  शिशु  को  घर  ले  आए  और  उसका  नाम  जीवक   रखा  l  अभय  कुमार  ने  उसे  यथायोग्य  शिक्षा  प्रदान  की  l   जब  जीवक  बड़ा  हुआ  तब  उसे  पता  चला  कि   अभय  कुमार  उसके  असली  पिता  नहीं  हैं  ,  उसे  संभवतया  किसी  ने  लोकाचार  के  भय  से  जंगल  में  छोड़  दिया  था  l   यह  जानकर  कि   वह  कुलहीन  है  ,  जीवक  का  हृदय  ग्लानि  से  भर  उठा  l   उसने   अपना दुःख  अभय  कुमार  को  बताया  l   अभय  कुमार  ने  उसे  यह  सब  भूलकर  तक्षशिला  जाने   तथा  श्रेष्ठतम  विद्द्या   अर्जित  करने  को  प्रेरित  किया  l  जीवक  के  तक्षशिला  पहुँचने  पर   उससे  प्रवेश  के  समय   कुल , गोत्र  संबंधित   प्रश्न  पूछे  गए   तो  उसने  स्पष्ट  रूप  से  सत्य  बता  दिया  l   प्रवेश  लेने  वाले  आचार्य  ने   जीवक  की  स्पष्टवादिता  से  प्रसन्न  होकर   उसे प्रवेश  दे  दिया  l   जीवक  ने  कठोर  परिश्रम  द्वारा  तक्षशिला   विश्वविद्दालय  से  आयुर्वेदाचार्य   की  उपाधि  हासिल  की  l  उनके  आचार्य  ने  उसे  मगध  जाकर  सेवा  करने  का  निर्देश  दिया  l   जीवक  ने  कहा --- " आचार्य  ! मगध  राज्य  की  राजधानी  है  l   सभी  कुलीन  लोग  वहां  निवास  करते  हैं  l   क्या  वे  मुझ  जैसे  कुलहीन  से  चिकित्सा  करवाना   स्वीकार    करेंगे   ?  मुझे  आशंका  है  कि   कहीं  मुझे  अपमान  का  सामना   न  करना  पड़े  l "  जीवक   के  गुरु  ने  उत्तर  दिया ----- "वत्स  !  आज  से  तुम्हारी  योग्यता , क्षमता ,  प्रतिभा  और  ज्ञान   ही  तुम्हारे  कुल  और  गोत्र  हैं  ,  तुम  जहाँ  भी  जाओगे  ,  अपने   इन्ही गुणों  के  कारण   सम्मान  के  भागीदार  बनोगे  l   कर्म  से  मनुष्य  की  पहचान   होती  है ,  कुल  और  गोत्र  से  नहीं   l   "  'जीवक  की  आत्महीनता  दूर  हो  गई  और  वे    सेवा  भाव  से  लोकप्रिय  हुए  ,  संसार  ने  उन्हें  महान  वैद्य  जीवक  के  नाम  से   जाना  l