17 June 2021

WISDOM -------

   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ----- " वास्तविकता  बहुत  देर  तक  छिपाये  नहीं  रखी   जा  सकती   l   व्यक्तित्व  में  इतने  अधिक  छिद्र  होते  हैं   कि   उनमें  होकर  गंध  दूसरों  तक  पहुँच  ही  जाती  है   l   इसलिए  कमजोरियों  पर  गंदगी  का  आवरण  न  डालकर    उनके  निष्कासन  के  ,  स्वच्छता  के  प्रयासों  में  निरत  रहना  चाहिए   l  "      एक    कहानी  है  ----- एक  दिन  एक  साहूकार  को  शक  हुआ   ,  उसके  खजाने  में  कहीं  खोटे   सिक्के  तो  नहीं  आ  गए   ?  यह  जाँचने   के  लिए  उसने   सब  सिक्के  एक  जगह  इकट्ठे  किए   और  जांच - पड़ताल  शुरू  की  l  अच्छे  सिक्के  तिजोरी  में  और  खराब   सिक्के  एक  तरफ  पटके  जाने  लगे  ,  तो  खोटे   सिक्के  घबराये  l   उन्होंने  परस्पर  विचार  किया  ---- "  भाई  !  अब  तो  अपने  बुरे  दिन  आ  गए  ,  यह  साहूकार  अवश्य  हम  लोगों  को     छाँट - बीनकर   तुड़वा  डालेगा  ,  कोई  युक्ति  निकालनी  चाहिए  ,  जिससे  इसकी  नजर  से  बचकर  तिजोरी  में  चले  जाएँ  l  "    एक  खोटा   सिक्का  बड़ा  चालाक  था   l   उसने  कहा  ---- "  भाइयों  !  हम  लोग  यदि  जोर  से  चमकने  लगे  ,  तो  यह  साहूकार  पहचान  नहीं  पायेगा   और  अपना  काम  बन  जायेगा   l "   बात  सबको  पसंद  आई  l   सब  खोटे   सिक्के   बनावटी  चमकने  लगे  और  सेठ  की  तिजोरी  में  पहुँचने  लगे   l   खोते  सिक्कों  को  अपनी  चालाकी  पर  बड़ा  अभिमान  हुआ   l   गिनते - गिनते  एक  सिक्का  जमीन   पर  गिर  पड़ा  l   नीचे  पत्थर  पड़ा  था   l   सिक्का  उसी  से  टकराया   l    साहूकार  चौंका  -- हैं  ,  ये  क्या  ,  चमक  तो  अच्छी  है   पर  आवाज  कैसी   थोथी  है   l   उसे  शंका  हो  गई   l   दुबारा  उसने  सब  सिक्के  निकाले   और  पटक - पटक  कर  उनकी  जांच  शुरू  की   l   फिर  क्या  था  ,  असली  सिक्के   एक  तरफ    और  नकली  सिक्के  एक  तरफ   l   खोटों   की  दुर्दशा  देखकर    एक  नन्हा  सा  असली  सिक्का  हँसा   और  बोला  ----- " मेरे  प्यारे  खोटे   सिक्कों  !  दिखावट  और  बनावट  थोड़े  समय  चल  सकती  है  ,  खोटाई  अंतत:  इसी  तरह  प्रकट  हो  जाती  है    l   कोई  भी  मनुष्य  अपनी  कमजोरी   नहीं  छिपा  सकता   l  "