5 February 2022

WISDOM ------

         आज  संसार  में  लोगों  के  सामने  इतनी  समस्याएं  हैं  , तनाव  है ,  सुख -शांति  नहीं  है  ,  इसके  मूल  में  प्रमुख  कारण  यही  है  कि   जीवन  जीने  की  कला  का  ज्ञान  नहीं  है   l   यह  ज्ञान  किसी  स्कूल ,  कॉलेज  या  किसी  संस्था  में  अध्ययन  करने  से  नहीं  आता  l   इसके  लिए  श्रेष्ठ  और  प्रामाणिक   ग्रंथों  के  स्वाध्याय  की  जरुरत  है   l    श्रीमद्भगवद्गीता ,  रामायण , महाभारत   और  पुराणों  की  कथाएं  हमें  जीवन  जीने  की  कला  सिखाती  हैं   l  उनके  अध्ययन - मनन   से   यह  स्पष्ट  हो  जाता  है  कि   संसार  में  अच्छा  और  बुरा   दोनों  है  ,   ईश्वर  ने हमें  चयन  की  स्वतंत्रता  दी  है  ,  हमारी  वृत्ति   हंस    जैसी  होनी  चाहिए   कि   हम  श्रेष्ठता  को  चुने   और  अपने  समय  व  शक्ति  का  सदुपयोग  करें   l  महाभारत  का  पात्र - दुर्योधन ,   सुयोधन  था  लेकिन  गलत  मार्ग  का  चयन  करने ,   ईर्ष्या , द्वेष  और  षड्यंत्र  में   लिप्त  रहने  के  कारण  वह  दुर्योधन  कहलाया   l   ईर्ष्या , द्वेष  तो  उसमें  इतना  कूट - कूटकर  भरा  था    कि   जब  पांडव    उसके  छल - कपट  से  जुए  में  हारकर    वन  में  थे  ,  तब  भी  उसने  उनके   विरुद्ध षड्यंत्र  करने ,  उन्हें  परेशान    करने  में  कोई  कसर   नहीं  छोड़ी   l   जैसी  उसकी  करनी  थी  ,  वैसा  ही  उसका  परिणाम   उसे  मिला   l   दूसरी  और  पांडव  थे   ,  जिन्होंने  अपने  वनवास  के  वर्षों    को   विलाप  कर  नहीं  बिताया   और न  ही  परेशान     हुए  ,  यह  समय  उन्होंने    स्वयं  को   हर  दृष्टि  से   अधिक  योग्य   बनाने में  बिताया ,   अर्जुन  ने  तपस्या  से  भगवान  शिव  से   और  देवराज  इंद्र  से  अमोघ  अस्त्र  प्राप्त  किये  ,  अपने  व्यक्तित्व  को  निखारा ,  स्वर्ग  की  सर्वश्रेष्ठ  सुंदरी   उर्वशी  ने  जब  उनसे  प्रणय निवेदन  किया   तो  अर्जुन  ने   कहा  -- जब  आप  नृत्य   कर रही  थीं   तब मेरी  दृष्टि  आपके  चरणों  पर  थी  ,   आप मेरी  माँ   समान  पूजनीय  हो   l   उर्वशी  ने  चाहे  क्रोधित  होकर  उन्हें  श्राप   दे  दिया  ,  लेकिन  अर्जुन  का  मन ,  उनकी  भावना  श्रेष्ठ  थी    इसलिए वह  श्राप  भी  उनके  लिए  वरदान  बन  गया  l   हमारे  धर्म  ग्रन्थ  हमें  संसार  से  भागना   नहीं सिखाते , बल्कि   यह  शिक्षा    देते  हैं   कि   विपरीत  परिस्थितियों  का  कैसे  सकारात्मक  तरीके  से  , धैर्य  और  विश्वास  के   साथ  सामना  किया  जाये   l