मनुष्यों से मिलकर ही समाज बना है , इसलिए समाज में जो भी समस्याएं हैं , बुराइयाँ हैं उनके लिए मनुष्यों की दूषित प्रवृतियाँ ही जिम्मेदार हैं l स्वार्थ , लालच , अति महत्वाकांक्षा , ऊंच - नीच , जाति - धर्म के आधार पर भेदभाव --- इन अनेक दुर्गुणों के कारण ही समाज में विभिन्न समस्याएं पैदा होती हैं l ये समस्याएं मानव समाज के लिए तब और दुखदायी हो जाती हैं जब लोगों के हृदय में संवेदना नहीं होती l जो लोग श्रेष्ठता के अहंकार से ग्रसित हैं , उनमे संवेदना नहीं होती , वे स्वयं को , अपनी जाति , अपने धर्म , अपनी वस्तुओं , अपने स्तर के लोग और अपनी संतान को ही श्रेष्ठ समझते हैं कि उन्हें ही इस धरती पर जीने का हक है , शेष सब धरती का बोझ हैं , उन्हें मिटाने का वे हर संभव प्रयत्न करते हैं l यह सब आज से नहीं युगों से हो रहा है l इसका कारण यही है कि मनुष्य की चेतना इतनी भौतिक प्रगति के बावजूद भी विकसित नहीं हुई है l चेतना के स्तर पर वह आज भी पशु है l सुख - शांति से जीने के लिए जरुरी है कि मनुष्य नैतिकता को जीवन में अपनाये , सन्मार्ग पर चले , सारी समस्याएं स्वत : ही हल हो जाएँगी l