11 February 2022

WISDOM -----

    जब  तक  लोगों  के  विचार  परिष्कृत  नहीं  होंगे ,  ' जियो  और  जीने  दो  '  की  भावना  नहीं  होगी   , तब  तक  अत्याचार   और    उत्पीड़न  समाप्त  नहीं  हो  सकता  l   केवल  स्वतंत्रता  मिल  जाने  से  अत्याचार  समाप्त  नहीं  होता   l   केवल  बाहरी  ताम -झाम   के  आधार  पर   ये  नहीं  कहा  जा  सकता   कि   समाज  बहुत  संवेदनशील  है  l  अत्याचार  और   उत्पीड़न   ऐसा  घृणित  कार्य  है   जिसमे  पीड़ित  व्यक्ति  का  दिल  छलनी  हो  जाता  है ,  उसकी  आत्मा  रोती   है  l    अहंकार  एक  मानसिक  विकृति  है   और  इसी  विकृति  से  ग्रस्त  लोग   संवेदनहीन  होते  हैं  ,  अपने  अहंकार  के  पोषण  के  लिए    अत्याचार  करते  हैं   l   अत्याचार  ,  उत्पीड़न  केवल  नारी  का  ही  नहीं  है ,   जहाँ  जो  कमजोर  है  ,  वही  उनका  शिकार  है  , l  यह  उत्पीड़न  तब  और  असहनीय  होता  है   जब  अपराध  करने  वाला   समाज में  खुला  घूमता  है  l  अपनी  बुद्धि  का  दुरूपयोग  कर  कई  लोग  ऐसे  अपराध  करते  हैं  कि   वे  कभी  कानून  की  पकड़  में  आ  ही  नहीं  सकते   l   कहते  हैं  प्रकृति  में  क्षमा  का  प्रावधान  नहीं  है  ,  यदि  लोग  कर्मफल  से ,  ईश्वरीय  न्याय  से  डरने  लगें   तो  स्थिति  में  कुछ  सुधार   संभव   है  l