पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ------ ' इस संसार में अंधकार भी है और प्रकाश भी , स्वर्ग भी है और नरक भी , पतन भी है और उत्थान , त्रास भी है और आनंद भी l इन दोनों में से जिसे चाहे , मनुष्यं चुन सकता है l कुछ भी करने की सभी को छूट है , पर प्रतिबन्ध इतना ही है कि कर्म के फल से बचा नहीं जा सकता l स्रष्टा के निर्धारित क्रम को तोडा नहीं जा सकता l