19 October 2018

WISDOM ----- राम काजु किन्हें बिनु मोहि कहाँ बिश्राम ---- रामचरितमानस

 श्री हनुमानजी  बहुमुखी  व्यक्तित्व  के  स्वामी  हैं  l  श्रीरामचरितमानस  में  वही  एक  ऐसे  पात्र  हैं  जो  हमें      रास्ता  दिखाते  हैं ,  ऐसी  चतुराई  सिखाते  हैं  जो  हमें  श्रीराम  से  मिला  दे  l  उन्होंने  कहा  कि   राम  का  नाम  लेने  के  साथ ' भगवान  राम '  का  काम  भी  करो  l  उन्होंने  जो  कहा  वह  अपने  आचरण  से   कर  के  भी  दिखाया   l   उन्होंने  केवल  राक्षसों  का  ही  अंत  नहीं  किया  अपितु  उन्हें  संरक्षण  देने  वालों  को  भी  मजा  चखाया   l   
 जब  समुद्र  को  पार  कर  के  श्री  हनुमानजी  लंका  पहुंचे  , तो  लंका  द्वार  पर  लंका  की  रक्षा  करने वाली   लंकिनी  नामक  राक्षसी  मिली  l  उस  समय  हनुमानजी  अति लघुरूप  में  थे  , फिर  भी  उसने  हनुमानजी  को  पहचान  लिया   और  बलपूर्वक  उन्हें  रोकने  का  प्रयास  किया  ,  तब  उन्होंने  लंकिनी  को  मुक्का  मारा  और  उसे  घायल  कर  दिया  l
  लंकिनी   लंका  की रक्षक  थी   किन्तु  वह  रावण  जैसे  अत्याचारी ,  जिसने  परस्त्री  पर  कुद्रष्टि  डाली,  उनका  हरण  किया  , वह    उसकी  सेवा  में  थी   l   जो  रक्षक  एक  गलत  व्यवस्था  की   रक्षा  करे  ,  उस  पर  प्रहार  करना  चाहिए   l  शौर्य  का  यह  अनुपम  उदाहरण  श्री हनुमानजी  ने  यहाँ  प्रस्तुत  किया   l  
  उन्होंने  भगवान  राम  का  कार्य  किया  ,  सीताजी  का  पता लगाया  ,  उन्हें  भगवान  का  सन्देश  दिया  l  श्रीराम  का  कार्य  कर के  ही  उन्होंने  भगवान  को  प्रसन्न  किया  l  
   आज  के  समय  में   समूचे  संसार  को  श्री  हनुमानजी  के  व्यक्तित्व  से  शिक्षा  लेने  की  जरुरत  है  l  सभी  धर्मों  के  लोग  अपने - अपने  भगवान  के  लिए  भव्य  भवन  बनाकर ,  कुछ  देर  कर्मकांड  कर   उन्हें  कमरे  में  बंद  कर  देते  हैं   और  फिर  पाप , भ्रष्टाचार , अनाचार , अत्याचार  आदि  अनैतिक   कार्यों  में  संलग्न  हो  जाते  हैं  ,  सोचते  हैं  कि  अब  भगवन  उन्हें  नहीं  देख  रहे  हैं   l  हम  सबके  ह्रदय  के  तार  ईश्वर  से  जुड़े  है  ,  वे  केवल  हमें  नहीं ,  हमारे  मन  में  क्या  चल  रहा  है  उसे  भी  जानते  हैं  l
पाप  , अत्याचार , राक्षसी  प्रवृतियों  के  कारण  ही  प्रकृति  नाराज  हो  गई  हैं   l   हम  सब  अपने  भीतर  श्री  हनुमानजी  का  बल  जगाएं  ,   पापी  का  दंड  तो  ' काल ' निर्धारित  करता  है   l  हम  कम  से  कम  अत्याचारी , अन्यायी  का  और  उन्हें  संरक्षण   देने  वालों  का  बहिष्कार तो  करें  ,   जिससे  समाज  में  यह  सन्देश   जाएगा   कि  ऐसे  लोगों  द्वारा  किये  जाने  वाले  कार्य  अनैतिक  और  अमानवीय  हैं   और
 धीरे - धीरे    लोग  सद्गुणों का   महत्व  समझेंगे   l