13 October 2018

WISDOM ---------------------

   प्राचीन  काल   में  जब  राजतन्त्र  था  ,  तब  राजा  वेश  बदलकर   राज्य  में  भ्रमण  करते  और   सही  स्थिति  को समझकर   अपनी  प्रजा  के   कष्टों  को  दूर करने   का  प्रयास  करते  थे  l  ऐसे  में  कभी  राजा  को  सामान्य जनों  से  महत्वपूर्ण  शिक्षा  भी  मिल  जाती  थी   l   इस  सम्बन्ध  में  एक  कथा  है -----
    एक  बार  राजा  जनमेजय  वेश  बदलकर  भ्रमण    करते   हुए  एक  गाँव  से  गुजरे  l   वहां  उन्होंने  देखा  कि  कुछ  किशोर  खेल  रहे  हैं  l  उनमे  से  एक  शासक  बना  है  और  अन्य  सभासद  l  शासक  बना  किशोर   जिसका  नाम  है  ' कुलेश '  सभासदों  को  संबोधित  करते  हुए  कह  रहा  है ---- "  सभासदों  !  जिस  राज्य  के कर्मचारीगण    वैभव - विलास  में  डूबे  रहते  हैं  ,  उसका  राजा  कितना  ही  नेक  और  प्रजावत्सल  क्यों  न  हो  ,  उस  राज्य  की  प्रजा   कभी  सुखी  नहीं  रहती  l  मैं  चाहता  हूँ  ,  जो  भूल  जनमेजय  के  राज्याधिकारी  कर  रहे  हैं  ,  वह  आप  लोग  न  करें  ,  ताकि  मेरी  प्रजा  असंतुष्ट  न  हो  l  आप  सबको  वैभव - विलास  का  जीवन  छोड़कर   त्यागपूर्वक  जीवन  जीना  चाहिए   l  जो  ऐसा नहीं  कर  सकता ,  वह  अभी  शासन  सेवा  से  अलग  हो  जाये  l  "  
   राजा  जनमेजय  उस  किशोर  के  गंभीर  चिंतन  से   बहुत  प्रभावित  हुए   और  उसे  महामंत्री  का  पद  प्रदान  किया  l   उसके  महामंत्रित्व   काल  में   अन्य    मंत्रियों ,  सामंतों   एवं  राज्य - कर्मचारियों  के  लिए  आचार - संहिता   बनाई  गई  ,  अतिरिक्त  आय  के  स्रोत  बंद  कर  दिए  गए  ,  इससे  बचा  हुआ  धन  प्रजा  की  भलाई  में  लगने  लगा  ,  कर्मचारी  व जनता  सभी के  लिए  परिश्रम  अनिवार्य  कर  दिया  गया   l  समस्त  प्रजा  में  खुशहाली  छा  गई  l