18 September 2023

WISDOM -----

  एक  व्यक्ति  के  पास  बहुत  धन  था  , पर  वह  स्वभाव  से  बहुत  कंजूस  था  l  न  खुद  अच्छे  से  रहता  , न  दूसरे  का  ही  कुछ  भला  कर  पाटा  l  वह  अपने  घर  में  धन  इसलिए  नहीं  रखता  था  , ताकि  कोई  चोर  डाकू  चुरा  न  ले  l अत: गाँव  के  बाहर  एक  जंगल  में  गड्ढा  खोदकर   उसने  अपना  सारा  धन  वहां  गाढ़कर  रख  दिया  l   हर  दूसरे -तीसरे  दिन  जाता   और  उस  स्थान  को  चुपचाप  देख  आता  l  उसे  यह  देखकर  बड़ा  संतोष  होता  कि  उसका  धन  वहां  सुरक्षित  रखा  हुआ  है  l  एक  बार  एक  चोर  को  शक  हुआ   तो  वह  उस  कंजूस  के  पीछे -पीछे  चुपचाप  गया   और  छिपकर  उस  स्थान  को  देख  आया  ,  जहाँ  कंजूस  बार -बार  जाया  करता  था  l  जब  कंजूस  उस  जगह  का  चक्कर  लगाकर  चला  गया   तो  चोर  ने  खुदाई  कर  के   सारा  धन  निकाला  और  भाग  गया  l   दो -तीन  दिन  बाद  जब  कंजूस   अपने  छिपे  धन  को  देखने  गया   तो  उसे  जमीन  खुदी  हुई  और  गड्ढा  खाली  मिला  l  यह  देखकर  वह  माथा  पकड़कर  जोर -जोर  से  रोने  लगा   , लोग  इकट्ठे  हो  गए  कहने  लगा  ---'मेरे  जीवन  भर  की  कमाई  चली  गई  l '  तब  एक  व्यक्ति  बोला  -- " सेठजी  ! यह  धन  तो  पहले  भी  आपके  काम  नहीं  आया  था   और  न  ही  अब  आपको  इसकी  जरुरत  थी  , हाँ , आपका  उस  पर  अधिकार  अवश्य  था  l  अब  यदि  यहाँ  से  कहीं  चला  गया   तो  आपको  कौन  सी  हानि  हो  गई  ?  आप  तो  उसे  वैसे  भी  इस्तेमाल  नहीं  करते  थे  l "  कहते  हैं  धन  की  तीन  ही  गति  हैं ----दान , भोग  या  नाश  !  जितना  ईश्वर  ने  दिया  है  उससे  अपनी   जरुरत  पूरी  कर   , सामर्थ्य  अनुसार  दान  भी  करे   अन्यथा  वह   नष्ट    हो  जाता  है  l