5 March 2023

WISDOM ----

   गणेश जी  की  शर्त ---- महाभारत  की  कथा  व्यास जी  के  मानस -पटल  पर  अंकित  हो  चुकी  थी  l  उन्होंने  ब्रह्मा जी  से   निवेदन  किया  कि  --" भगवान  !  मुझे  इस  बात  की  चिंता  है  कि  इस  इस  महान  ग्रन्थ  को  लिपिबद्ध  कौन  करे  ?  "  ब्रह्मा जी  ने  कहा --- " तात  !  तुम  गणेश जी  को  प्रसन्न  करो  l  वे  ही  तुम्हारे   ग्रन्थ  को  लिखने  में  समर्थ  होंगे  l "  महर्षि  व्यास  ने  गणेश जी  का  ध्यान  किया   और  उनसे  प्रार्थना  की --- " हे  गणेश  ! एक  महान  ग्रन्थ  की   रचना  मेरे  मस्तिष्क  में  हुई  है  l  आप  उसे  लिपिबद्ध  करने  की  कृपा  करें  l  "  गणेश जी  ने  व्यास जी  की  प्रार्थना  स्वीकार  तो  की  ,  लेकिन  बोले ---" आपका  ग्रन्थ  लिखने  को  मैं  तैयार  हूँ  ,  लेकिन  मेरी  एक  शर्त  है   कि ---जब  मैं  लिखना  शुरू  करूँ   फिर  मेरी  लेखनी   जरा  भी  रुकने  न  पाए   l  अगर  आप  लिखाते -लिखाते  जरा  भी  रुक  गए   तो  मेरी  लेखनी  भी  रुक  जाएगी   और  फिर  आगे  नहीं  चलेगी  l  "  व्यास जी  ने  कहा ---  "   आपकी  शर्त  मुझे  मंजूर  है  ,  लेकिन  मेरी  भी  एक  शर्त  है  ,  वह  यह  है कि   आप  जब  भी  लिखें  , तब  हर  श्लोक  का  अर्थ    ठीक  तरह    से  समझ  लें  ,  तभी  लिखें  l  " गणेश जी  ने  कहा --- 'तथास्तु  ! '  अब  व्यासजी  और  गणेश जी  आमने -सामने  बैठ  गए  l  व्यास जी  बोलते  जाते , गणेश जी  लिखते  जाते  l  गणेश जी  की  गति  बहुत  तेज  थी  ,  इस  कारण  व्यास जी  श्लोकों  को  जरा  जटिल  बना  देते  ,  जब  तक  गणेशजी  उन्हें  समझते  तब  तक  वे  मन  ही  मन  और  श्लोकों  की  रचना  कर  लेते  l   इस  तरह  गणेश जी  की  अथक  लेखनी  से  यह  महान  ग्रन्थ  लिपिबद्ध  हुआ  l  व्यास जी  ने   महाभारत  की  यह  कथा  सबसे  पहले  अपने  पुत्र  शुकदेव जी  को  कंठस्थ  कराई  और  बाद  में  अपने  दूसरे  शिष्यों  को  l  मानव  जाति  में   महाभारत  की  कथा  का  प्रसार  व्यास जी  के  प्रमुख  शिष्य   महर्षि   वैशम्पायन   के  द्वारा  हुआ   l  उन्होंने  महाराज   परीक्षित  के  पुत्र  जनमेजय    के  नाग  यज्ञ   के  अवसर  पर  व्यासजी  की  आज्ञा  से  महाभारत  की  कथा  सुनाई  l