20 July 2023

WISDOM -----

 पुराण  की  कथाएं  मनुष्य  को  जीवन  जीने  की  शिक्षा  देती  हैं  l ---- ' योगवासिष्ठ '  में   भगवान  राम  को  महर्षि  वसिष्ठ  उपदेश  दे  रहे   थे  l  इसी  बीच   वे  लघुशंका  हेतु  गए  l  लघुशंका  के  दौरान   वे  जोर  से  हँसे  l   रामचंद्र जी  ने  सोचा,  इतने  बड़े  महर्षि  लघुशंका  के  दौरान  हँस  रहे  हैं  !  क्या  उन्हें  इतना  ज्ञान  नहीं  है  कि  इस  समय  कोई  भी  क्रिया  नहीं  करनी  चाहिए  l  जब  लौटकर  आए  तो  श्रीराम  ने  पूछा  ---- " भगवान  क्या  बात  थी  ,  आप  हँसे  क्यों  ?  ऐसे  समय  में  आपको  हँसी  आना   किसी  विशेष  रहस्य  का  कारण  है  ? "   महर्षि  बोले ----   " मैं  एक  द्रश्य  देखकर   हँस  पड़ा  l  एक   चींटा   नीचे  नदी  के  प्रवाह  में  बहा  जा  रहा  था  l  वह  चींटा   नौ  बार  इन्द्रपद  पर  रह  चुका  है  ,  पर  अपने  भोग  के  कारण   वह  चींटे  की  योनि  को  प्राप्त  हुआ  है  l "  आचार्य  श्री  लिखते  हैं ---- हम -आप  कल्पना  कर  सकते  हैं  कि   जब  इन्द्रपद  प्राप्त  करने  वाले   की  यह  स्थिति  है   तो  हमारी  -आपकी  क्या  स्थिति  होगी  l  "  यह  सत्य  है  कि  मनुष्य  स्वयं   ही   अपने  कर्मों  द्वारा   यह तय  कर  लेता  है  कि  उसको  अगले  जन्म  में  कौन  सी  योनि  मिलेगी  l  मनुष्य   एक  सामाजिक  प्राणी  है  l  मनुष्यों  से  मिलकर  ही  परिवार , समाज  और  राष्ट्र  बना  है  l  एक  मनुष्य  को  उसके  कर्मों  का  फल  तो  मिलता  ही  है  ,  लेकिन  उसके  कर्म   उसके  परिवार , समाज  और  राष्ट्र   की  दिशा  को  भी  तय  करते  हैं l  छल , कपट ,  षडयंत्र , धोखाधड़ी ,   अनैतिक , अमर्यादित  कार्य , विभिन्न  अपराध  कोई  अकेला  नहीं  करता , उसमे  समाज  का  बहुत  बड़ा  तबका  जुड़ा  होता  है  l   भौतिक  द्रष्टि  से  चाहे  उनके  पास  धन -वैभव  हो   लेकिन  मानवीय  द्रष्टि  से   वे  परिवार  और  समाज  को   पतन  के  गर्त  में  और  निम्न  योनियों  में  ले    जाते  हैं  l    संसार  में  सुख  शांति  के  लिए   जरुरी  है  कि   ' विकास '  को  भौतिक  द्रष्टिकोण  से  नहीं , इंसानियत  के  आधार  पर  परिभाषित  किया  जाये  l  इस  आधार  पर  यदि  विभिन्न  देशों  का  निष्पक्ष  सर्वेक्षण  किया  जाये   तो  यह  सत्य  सामने  आएगा  कि  विकास   ने  मनुष्य  को  क्या  बना  दिया --- पशु , नर पशु , पिशाच  या  खूंखार  पशु   !    इनसान  तो  बहुत  ही  कम   होंगे  l  विभिन्न  योनियाँ  तो  मृत्यु  के  बाद  ही  मिलती  हैं   लेकिन  व्यक्ति  के  गलत  कार्य   उसे   पशु  और  जिन्दा  प्रेत  बना  देते  हैं   जो  न  तो  स्वयं  चैन  से  रहता  है  और  न  दूसरों  को  चैन  से  जीने  देता  है  l  मनुष्य  बुद्धिमान  है   इसलिए  वह  अपने  इस  रूप  पर   आदर्शवादी   और  समाजसेवी  होने  का  आवरण  डाल  लेता  है  l  आज  जरुरी  है  कि   हर  व्यक्ति  ईश्वर  से  सद्बुद्धि  की  प्रार्थना  करे   ,  ईश्वर  हमें  विवेक  दें   जिससे  हम   किसी  व्यक्ति  की  सच्चाई  को , उसके  असली  रूप  को  समझकर   जागरूक  रहें   l