20 February 2024

WISDOM -----

  पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी   कहते  हैं ( प्रवचन  का  अंश--27. 05.77   )---- " हम  और  आप  ऐसे  वक्त  में  रह  रहे  हैं  , जिसमें  इनसान  का  स्वार्थ  बेहिसाब  रूप  से  बढ़ता  जा  रहा  है  l  आदमी  समझदार  तो  बहुत   होता  जा  रहा  है  , लेकिन  आदमी  पत्थर  का , निष्ठुर  बनता  जा  रहा  है  ----- इसके  अन्दर  से  दया , करुणा , ममता , स्नेह , दुलार  और  आदर्शवाद  के  सारे  सिद्धांत   खतम  होते  चले  जा  रहे  हैं  l  पैसा , काम - वासना  , तृष्णा  के  अलावा  और  कोई  दूसरा  लक्ष्य  नहीं  है  l  जब  आदमी  के  ह्रदय  से  मुहब्बत , स्नेह , सहकारिता, ईमानदारी , भलमनसाहत  चली  जाएगी   तब  आदमी  के  बराबर  खौफनाक  जानवर   दुनिया  के  परदे  पर   कोई  नहीं  होगा  l  शेर  मारकाट  में  तो  बहुत  ताकतवर  होता  है  , पर  बेअक्ल  होता  है  l  हाथी  भी  ताकतवर  बहुत  होता  है  , पर  वह  भी  बेअक्ल  होता  है   लेकिन  आदमी  इतना  समझदार  है  कि   इसको    किसी  के  पेट  में   मुंह  खंगाल  कर  के   खून  पीने  की  जरुरत  नहीं  है  l   किसी  के  पेट  में  बिना  दांत  गड़ाए  ही  वह  दूसरों  का  खून  पी  सकता  है   और  आदमी  को  मुरदा  बना  कर  के  छोड़  सकता  है  l  यह  कला  मनुष्य  को  आती  है  l  आदमी  बड़ा  खौफनाक  और  खतरनाक  है  l  पहले  आदमी  को   देखकर  हिम्मत  बंधती  थी   कि  वह  हमारी  सहायता  करेगा  , हम  एक  से  दो  हो  गए  l  लेकिन  अब  हमको  भय   मालूम  पड़ता   है  कि  कहीं  ऐसा  न  हो   कि  हमारे  साथ -साथ  जो  व्यक्ति  चलता  है   , वही  हमारे  लिए  पिशाच  न  सिद्ध  हो  l  यह  तरक्की  मुझे  बड़ी  खौफनाक  मालूम  पड़ती  है  l  यदि  तरक्की  इसी  हिसाब  से  होती  चली  गई   तो  आदमी  को  देखकर  आदमी  डरेगा   और  कहेगा  कि   देखो , आदमी  जा  रहा  है  , होशियार  रहना  l  "  -------                                                                                             विकास की  अंधी  दौड़  में  भावनाएं  समाप्त  हो  गई  है  , संवेदनहीनता  के  कारण  ही  युद्ध , अपराध , अन्याय, अत्याचार  होता  है   l  यह  एक  पक्षीय  विकास  सम्पूर्ण  मानवजाति  के  लिए  खतरा  है  l