15 April 2023

WISDOM -----

   इस  धरती  पर  असुरता  का  अंत  कर  देवत्व  की  अभिवृद्धि  के  लिए  भगवान  ने  समय -समय  पर  अवतार  लिए  l  ऋषियों  की  हड्डियों  का  पर्वत  देखकर  भगवान  राम  ने  हाथ  उठाकर  पृथ्वी  को  राक्षसों  से  विहीन  करने  की  प्रतिज्ञा  की  थी  l   ऋषि  विश्वामित्र  के  यज्ञ   में  विध्न  फ़ैलाने  वाले  ताड़का , सुबाहु ,  मारीचि  आदि  असुरों  का  वध  किया  l  छोटे  भाई  सुग्रीव  के  साथ  अन्याय  करने  वाले  बालि  का  अंत  किया  l  ऋषियों  को  त्रास   देने  वाले  खर -दूषण  का  दमन  किया   और  अंत  में  अधर्मी , अत्याचारी  सत्ताधीश  रावण  का  अंत  किया  l  असुरता  का  अंत  इसलिए  भी  आवश्यक  होता  है   क्योंकि  ये  असुर  स्वयं  तो  अत्याचार  करते  ही  हैं  , इसके  साथ  वे  जनता  के  सामने   अधार्मिकता  की  विजय  के  उदाहरण  प्रस्तुत  कर   उसे  भी  कुमार्ग  पर  चलने  का  लालच  उत्पन्न  करते  हैं  l  अच्छाई  की  अपेक्षा  बुराई  का  मार्ग  सरल  है  , इसलिए  असुरता  का  साम्राज्य  तेजी  से  फैलता  है  l  रावण  का  अंत  हो  गया  , लेकिन  द्वापर  युग  में  पुन:  असुरता  प्रबल  हो  गई   l  तब  भगवान  श्रीकृष्ण  ने  अवतार  लेकर   अनीति  बरतने  वाले   त्रनासुर ,  अघासुर , बकासुर , पूतना , कालिया  नाग  आदि  का  अपनी  बाल्यावस्था  में  ही  अंत  किया  फिर  बड़े  होने  पर  अत्याचारी  अन्यायी  शासक  कंस  का  अंत  किया  l  अपनी  कुशल   नीति   से  अत्याचारी  और  अहंकारी  शासकों  जरासंध , शिशुपाल  आदि  का  अंत  किया   और  अंत  में  अनीति  और  अत्याचार , अधर्म  का  अंत  करने   के  लिए  महाभारत  में  अर्जुन  के  सारथि  बने  l  अधर्म  का  अंत  और  धर्म  की  स्थापना  हुई  l  लेकिन  समस्या  समाप्त  नहीं  हुई ,   कलियुग   में  सम्पूर्ण  धरती  पर  ही  असुरता  का  बोलबाला  है  l  छल , कपट , षड्यंत्र , अनीति , भ्रष्टाचार , स्वार्थ , लालच , महत्वाकांक्षा   जैसी  बुराइयों  से   कोई  परिवार , कोई  भी  संस्था ,  यहाँ  तक  कि  संसार  में  कोई  भी  अछूता  नहीं  बचा  है  l  संभवतः  ये  धरती  टिकी  रहे , उसके  लिए  जितने  अच्छे , सच्चे  लोगों  की  जरुरत  होगी  , केवल  मात्र  उतने  ही   अच्छे -सच्चे  धरती  पर  होंगे  l  समस्या  ये  है  कि  जब  असुरता  का  साम्राज्य  इतना  व्यापक  है  तो  उसका  अंत  कैसे  हो  ?  यह  समस्या  ईश्वर  के  भी  सामने  है  कि  कहाँ  तक  अवतार  लें  ?  ये  पृथ्वीवासी  तो  सुधरते  ही  नहीं  ,  असुरता  का  अंत  होना  तो  दूर  , संख्या  बढ़ती  ही  जाती  है  l  असुरों  के  नाम  पर  कुछ  का  अंत  कर  भी  दिया  तो  क्या  ?  रावण  एक  विचार  है  , उस  विचार  का  अंत  होना  जरुरी  है  l   लोगों  के  विचार  सकारात्मक  हों , चेतना  का  परिष्कार  हो  , इसी  कार्य  के  लिए   दैवी  शक्तियों  ने  पं . श्रीराम  शर्मा  आचार्य  जी  को  धरती  पर  भेजा  l  उन्होंने  बताया  कि  गायत्री मन्त्र  में  ही  वह  शक्ति  है   जो  दुर्बुद्धि  का  नाश  करती  है   और  सद्बुद्धि  को  जाग्रत  करती  है  l  जब  विचार  अच्छे  होंगे , तो  कार्य  भी  सकारात्मक  होंगे  l  इसके  साथ  जरुरी  है  कि  अपने  आचरण  से  शिक्षा  दो , पहले  स्वयं  सुधरो , फिर  दूसरों  को  सुधारो  l  'अपना  सुधार  ही  संसार  की  सबसे  बड़ी  सेवा  है  l '