25 April 2022

WISDOM ---

   लघु - कथा -----  तीन  व्यक्ति  पहाड़ी  मार्ग  पार  कर  रहे  थे  l  चोटी  काफी  उंचाई  पर  थी  , रास्ता  लंबा  था  l  धूप  और  थकान  से  उनका  मुंह  सूखने  लगा  l  प्यास  से  व्याकुल  उन्होंने  चारों  ओर  देखा  l  एक  झरना  दूर  नीचे  की  ओर  बह  रहा  था  l  एक  पथिक  ने  आवाज  लगाईं --- " हे  ईश्वर  !  सहायता  कर   l   हम  तक  पानी  पहुंचा  l   दूसरे  पथिक  ने  आवाज  लगाईं  --- " हे  इंद्र  !  मेघमाला  ला   और  जल्दी  से  जल्दी  जल  बरसा l  हमारी  प्यास  बुझा  l  "  तीसरे  ने  कुछ  नहीं  कहा  ,    वहां  से    नीचे   उतर  कर   झरने  तक   पहुंचा   और  जी  भरकर  प्यास  बुझाई  l   दो  प्यासे  अभी  भी  सहायता  के  लिए  चिल्ला  रहे  थे   l  पहाड़ियों  से  प्रतिध्वनि   आ  रही  थी   l  पर  जिसने  पुरुषार्थ  का  सहारा  लिया  ,  वह  तृप्ति  प्राप्त  कर   फिर  आगे  बढ़  गया    l   सही  कहा  है ---- ' दैव - दैव  !  आलसी  पुकारा  l  ' आलसी  ही  हमेशा  इस  तरह  का  आचरण  कर   पुकार  लगाते  रहते  हैं l   जीत  पुरुषार्थी  की  ही  होती  है   l   

2 .   कारूँ  को  अल्लाह  ने  बहुत  बड़ा  खजाना  दिया   l   कहा --- " इस  दौलत  को  नेकी  में  खर्च  करना   l  " कारूँ  दौलत  पाकर   फूला    नहीं  समाया   l  उसने  उस  दौलत  को  बेहिसाब  उड़ाना  आरंभ  किया  , राग - रंग  ऐशो-आराम   में  नष्ट  करने  लगा    खजाना  खरच  होने  लगा  l   एक  दिन  जमीन  हिली   और  कारूँ  का  मकान  मय  दौलत  के   उसमें  फंस  गया  l  बची  दौलत  का  थोड़ा   ही  हिस्सा  मिल  जाए  ,  यह  सोचकर  उसने  आवाजें  लगाईं  l   कोई  भी  नहीं  आया  l  खुदा  के  कहर  से  उसे  निजात  नहीं  मिली  l  कारूँ  की  तरह  ही  रातोरात  अमीर  बनने  वालों  ने  इससे  एक  सीख  ली   और  सोचा  कि  अल्लाह  की  मरजी  पर  अपनी  मरजी   नहीं  रखनी  चाहिए  l  परमात्मा  की  विभूतियाँ  सद उद्देश्यों   के  लिए  हैं  l   उनका  दुरूपयोग  विनाशकारी    ही  होता  है   l