पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ---- "एक -एक कदम चलकर ही हम लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं l साथ ही लक्ष्य तक पहुँचने के लिए जितना महत्व प्रयास व श्रम का है , उतना ही महत्त्व विश्राम का भी है l विश्राम करने से हमें मार्ग की थकान से राहत मिलती है और आगे बढ़ने के लिए ऊर्जा भी मिलती है l अति उत्साह और लालच का परिणाम नुकसान दायक हो सकता है l इसलिए मंजिल तक पहुँचने के लिए उत्साह तो बनाये रखना चाहिए , लेकिन अति उत्साह में अपना नियंत्रण नहीं खोना चाहिए l "------------ पंचतंत्र की एक कहानी है ---- एक जंगल में दो पक्षी रहते थे l उस जंगल के एक छोर पर एक वृक्ष था , जिसमें वर्ष में एक बार स्वादिष्ट फल लगते थे l जब फलों का मौसम आया तो उन दोनों पक्षियों ने वहां जाने की योजना बनाई l l पहले पक्षी ने दूसरे से कहा --- " वह वृक्ष यहाँ से बहुत दूर है इसलिए मैं तो वहां आराम से पहुँच जाऊँगा l अभी फलों का मौसम दो माह रहेगा l " दूसरा पक्षी अति उत्साहित था , कहने लगा ---" नहीं मित्र ! मुझसे तो रहा नहीं जा रहा है l उन स्वादिष्ट फलों के बारे में सोचकर ही मेरे मुँह में पानी आ रहा है l इसलिए मैं तो एक ही उड़ान में वहां पहुंचकर मीठे फल खा लेना चाहता हूँ l " दूसरे दिन दोनों पक्षी अपने घोंसले से निकलकर उस वृक्ष की ओर उड़ चले l कुछ दूर जाने पर पहले पक्षी को जब थकान होने लगी तो वह एक पेड़ की टहनी पर ठहर गया लेकिन दूसरा पक्षी थकान के बावजूद भी रुका नहीं , अति उत्साह में उड़ता गया l अब उसे दूर से ही फलों का वृक्ष दिखाई देने लगा , मीठे फलों की सुगंध भी आ रही थी l वह बुरी तरह थक भी चुका था , उसके पंख लड़खड़ाये और वह आसमान से जमीन पर आ गिरा l उसके पंख बिखर गए और वह उन फलों तक कभी नहीं पहुँच सका l लेकिन पहला पहला पक्षी जो धैर्य के साथ कुछ देर विश्राम कर उड़ रहा था , वह फलों तक आराम से पहुँच गया और उसने जी भरकर स्वादिष्ट फल खाए l आचार्य जी कहते हैं जैसे एक -एक सीढ़ी चढ़कर ही हम मंजिल तक पहुँचते हैं , अति शीघ्रता में कभी -कभी पाँव फिसलने और गिरने का डर रहता है , सावधानी जरुरी है l