17 February 2019

WISDOM ------ लालच , ईर्ष्या - द्वेष में व्यक्ति अँधा हो जाता है और मनुष्यता के स्तर से गिर जाता है

 कहते  हैं   स्वार्थी , अनीतिवान  तथा  कायर  व्यक्ति  के   पास   छल - कपट  के  सिवा  कोई   और  संबल  नहीं  होता  l    छत्रपति  शिवाजी  की   ताकत ,  उनकी  वीरता  और  सफल  राजनीति  से  बीजापुर  का  नवाब  आदिलशाह   जल  गया  और  उसने  उनको   छल - प्रपंच  से    परास्त  करने  का  षड्यंत्र  रचा ----- सर्वप्रथम  उसने   एक  जाति - द्रोही   बाजी  घोर  पाण्डे  को  लालच  देकर  अपनी  ओर कर  लिया  l बाजी  घोर  पाण्डे  बड़ा  स्वार्थी  और   निकृष्ट  था    ,  उसने   शिवाजी  के  पिता  शाहजी  को  एक  प्रीति  भोज    निमंत्रित  कर  धोखे  से  बंदी  बना  लिया   और  एक  छोटी  सी  कोठरी  में  बंद  कर  उसका  द्वार  ईंटों    चुनवा  दिया ,  सांस  लेने  को  थोड़ी  सी  जगह  छोड़ी  l    शिवाजी  अपने  पिता  की  रक्षा  के  लिए  बीजापुर  दरबार  में  आत्म समर्पण  करें  l  शिवाजी  ने  अपनी  कुशल  नीति से  पिता  शाहजी  को मुक्त  करा  लिया  l
   अब  आदिलशाह  और  जल  गया  और  उसने  शिवा  को  छल  से मरवा  डालने  की  ठानी   l  उसने  फिर  किसी  विश्वासघाती  की  तलाश  की  l   अब  उसे  बाजी  श्यामराज  एक   जाति  द्रोही  मिल  गया  l   उसने  उसे  धन  और  पद  का  लोभ  दिया  l  वह  कायर  वहीँ  घात  लगाकर  बैठा  जहाँ  शिवाजी  उस  समय  रह  रहे  थे  l   शिवाजी  सतर्क  थे  ,  गुप्तचरों  से  उन्हें  श्यामराज  के  रंग - ढंग  पता  चले   तो  उन्होंने  श्यामराज  पर  हमला  कर  दिया  l  शिवाजी  से  मार  खाकर  वह  कायर  भागा  ,  जवाली  के  राजा   चन्द्रराव  की  मदद  से  वह भाग  निकला l     शिवाजी   के  अभ्युदय  से  वह  भी जलता  था  इसलिए  उसने  श्यामराज  की सहायता   की  l   जाति - द्रोही   विजातियों  से   अधिक  भयंकर  और  दंडनीय  होता  है    l  शिवाजी  ने  श्यामराज   को  तो  धर  दबोचा    और  ऐसे     स्वार्थी   व  अदूरदर्शी   राजा  चन्द्र्राव  पर    आक्रमण  कर  उसे  परस्त  किया  l  जवाली  के  किले  व  मंदिर  का  जीर्णोद्धार  कराया  l  और  वहां  से  दो  मील  की   दूरी    पर    प्रतापगढ़  किला  और  अपनी  इष्ट  देवी  भवानी  का  मंदिर  स्थापित  किया   l